April 30, 2025

महंत की आत्महत्या ने, योगी सरकार के हिन्दुत्व  एजेंडा को दिया झटका

उत्तरप्रदेश में हिन्दुत्व के डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी महंत को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ रहा है
सुशांत सिंह राजपूत की तरह ही क्या योगी सरकार महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या की जांच सीबीआई से करायेगी?

उत्तरप्रदेश में हिन्दुत्व की मोदी योगी वाली डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी देश की साधु संतों की सबसे बड़ी संख्या अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी को आत्महत्या करने पर मजबूर होना साबित करता है कि हिन्दुत्व का नारा बुलंद करने वाली डबल इंजन की सरकार साधु संतो की समस्याओं का निराकरण कर पाने में भी असफल है ऐसे हालातों मेंं आम जनता की समस्याओं का निराकरण में कैसे सफल हो सकती है। ज्ञात हो कि पिछले सात आठ महीनों से श्रीमठ बाघंबरी गद्दी और निंरजनी अखाड़े की अरबों रूपये की संपत्तियों के हेर -फेर के विवाद में फंसे महंत को उनके चेलों ने ही धोखा दिया। महंत ने अपने 6 पन्नों के सुसाइट नोट में मथ के कथित उत्तराधिकारी और शिष्य का उल्लेख किया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में महंत नरेंद्र गिरी के आत्महत्या का मामला निश्चित ही योगी और मोदी सरकार के हिन्दुत्व के एजेंडें को भी भारी नुक्सान पहुंचा सकता है, जो भाजपा का कोर एजेंडा है, जिसके सहारे वह पुन: सत्ता वापसी के सपने बून रही है।

महंत के शिष्य आनंद में अरबों की संपत्ति के धोखाधड़ी का लगाया था आरोप

राजनेताओं को पार्टी से निकालने से बाद जिस तरह नेता अपनी पार्टी के खिलाफ आरोप लगाते है उसी तर्ज पर ही महंत नरेंद्र गिरी का अपने शिष्य आनंद के साथ विवाद के बाद उन्हें अखाड़े से निकाल दिया, जिसके बाद आनंद ने महंत पर अरबों रूपये की संपत्ति की धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। आनंद ने 2019 में निरंजनी अखाड़े के पूर्व सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध मौत का दोषी भी बताया था। जिस तरह नेताओं की घर वापसी हो जाती है उसी तरह ही यहां पर भी देखने को मिला और आनंद की अखाड़े में वापसी हो गयी, और मंहत पर लगाये गये सारे आरोप ठंडे बस्ते में चले गये। जो यही संदेश देता है कि साधु संतो व नेताओं की कार्यशैली एक ही तरह की है।

कुर्सी की लड़ाई यहां पर भी थी

बड़े हनुमान मंदिर व श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर महंत नरेंद्र गिरी ने शिष्य आंनद गिरी को 2005 में अपना उत्तराधिकारी बनाया था, 2012 में वसीयत भी हुई, लेकिन मतभेद बढऩे के बाद इस वसीयता को निरस्त कर दिया गया, जिस तरह राजनीतिक दलों के द्वारा कुर्सी नही मिलने या टिकट काट दिये जाने पर नेता विरोध करते हे उसी तरह की स्थिति यहां भी बनी रही आंनद के अखाड़े में वापसी के बाद भी दोनों के बीच मतभेद बने ही रहे, महंत नरेंद्र गिरी ने अपनी सुसाइट नोट में भी चेलों की दगाबाजी का उल्लेख किया है।

योगी सरकार सीबीआई जांच करायेगी

महंत नरेंद्र गिरी फर्जी संतो व अखाड़ो के खिलाफ कापुी मुखर थे, जिसके चलते उनका नाम कई विवादों में जूडा था। हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने प्रशासन निष्पक्ष जांच की मांग की है। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अभिनेता सुशांत की मौत की जांच सीबीआई से करायी थी, क्या महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या की जांच योगी सरकार या मोदी सरकार सीबीआई से करायेगी ताकि महंत की आत्महत्या के कारणों का खुलासा हो सके। क्योकि महंत का अपने चेलों से विवाद चल रहा है यह सार्वजनिक है, जिसका उल्लेख उन्होंने अपने सुसाइट नोट में भी किया है। अभिनेता सुशांत में कोई सुसाइट नोट भी नही मिला था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *