पार्टी से ज्यादा अपनी जीत हार की चिंता सता रही योगी आदित्यनाथ को
डबल इंजन की सरकार पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही भरोसा नही है, इसलिए गोरखपुर से तीन बार विधायक रहे भाजपा के डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल का टिकट काटकर योगी आदित्यनाथ ने इस सुरक्षित सीट से लडऩे का फैसला लिया, जबकि राजनीतिक गलियारें में उनके अयोध्या, काशी मथुरा से चुनाव लडऩे की खबरें लम्बे समय से प्रचारित करके माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा आलाकमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसी दूसरी सीट से लडऩा चाहता था ताकि जनता को अच्छा संदेश जा सके, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सीट से ही चुनाव लडऩे पर अड़े थे।
यूपी विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद जिस तरह से भाजपा में भगदड़ मची, उसने देश के साथ ही साथ यूपी की जनता को भी ध्यान आकर्षित किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की पार्टी में पकड़ इतनी कमजोर हो गयी है, अब भाजपा नेता ही आंख दिखाने लगे है। अभी यह मामला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ था कि योगी आदित्यनाथ की टिकट गोरखपुर से दिये जाने का मामला चर्चा का विषय बना गया। गोरखपुर से मौजूदा भाजपा विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल इस सीट से तीन बार चुनाव जीते है। 2002 में डॉ राधा मोहन दास हिंदू महासभा के बैनर चले चुनाव जीते थे, इसके बाद भाजपा में शामिल हो गये। श्री अग्रवाल ने कई मामले पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था जिसके चलते पार्टी की तरह से उन्हें कारण बताओं नोटिस भी जारी किया गया था। संभवत: योगी आदित्यनाथ डॉ, राधा मोहनदास अग्रवाल की टिकट काट कर पुरानी दुश्मनी भी निकालना चाहते थे, जिसमें वह सफल हो गये, लेकिन गोरखपुर सुरक्षित सीट से चुनाव लड़कर यह आम जनता में यही संदेश दिया कि डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी मुख्यमंत्री को एक सुरक्षित सीट की जरूरत है। ऐसे में कमजोर प्रत्याशियों का हौसला पार्टी कैसे बढ़ा पायेगी?
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भाजपा आलाकमान अयोध्या से योगी को लडऩा चाहता था
भाजपा आलाकमान कट्टर हिन्दुत्व की पहचान बन चुके योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से चुनाव लडऩे की रणनीति बना रहा था, जिससे चुनाव का धु्रवीकरण किया जा सके, भाजपा का कोर एजेंडा भी हिन्दुत्व का ही है, परंतु योगी आदित्यनाथ अयोध्या सीट से चुनाव लड़ करकिसी भी तरह का जोखिम लेना नही चाहते थे, जबकि जमीनी स्तर पर योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लडऩे की जरूरी तैयारी हो गयी थी, क्योकि भाजपा कार्यकर्ता के साथ सांधु संतों के साथ मंदिर से जुडे लोगों ने जनसंपर्क करना भी शुरू कर दिया था। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ पूरे यूपी व देश में वोट तो मांग कर सरकार तो बनाना चाहते है, लेकिन अयोध्या से चुनाव लडऩे का साहस नही बटोर पाना बताता है कि योगी आदित्यनाथ को पार्टी से ज्यादा अपनी जीत हार की चिंता है। इसलिए 93 प्रतिशत हिन्दू वोट होने के बाद भी गोरखपुर की तरह अयोध्या सीट भाजपा के लिए सुरक्षित नही लगी।
हिन्दू को हिन्दू से ही है खतरा
हिन्दू के लिए सबसे बड़ा खतरा हिन्दू ही है, यह बात गोरखपुर के तीन बार के विधायक डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल से ज्यादा अच्छे से कौन जान सकता है। हिन्दू के नाम पर राजनीतिक करने वाले मोदी और योगी की जोडी ने मिलकर हिन्दू महासभा के बैनर पर चुनाव जीतने वाले अग्रवाल को ही योगी आदित्यनाथ ने किनारे करके साफ कर दिया कि हिन्दुओं को दूसरे से ज्यादा हिन्दुओं से ही खतरा है।