कोरोना से देश में हुूई मौत का आंकड़ा मोदी सरकार के आंकड़े से लगभग दस गुना बताया
देश में गोदी मीडिया मोदी सरकार की हर गलती को विपक्ष को जिम्मेदार बताने के साथ ही देश में अजेय बताने में लगा है, लेकिन आठ सालों में विश्व स्तर पर मोदी सरकार गोदी मीडिया का निर्माण नही कर पाने के कारण ही आज विश्व स्वास्थ्य संगठन मोदी सरकार में हुई कोरोना की मौत के आंकड़े पर सवाल उठाने का साहस करके कही ना कही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्लोबल इमेज को नुक्सान पहुंचाने का काम कर रहा है। भारत का दुनिया में सम्मान बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधों पर अतिरिक्त जिम्मेदारी आ गयी है कि वह दुनिया को बताये कि कोरोना में देश में मौत का आंकड़ा सवा पांच लाख ही है, विश्व स्वास्थ्य संगठन का आंकड़ा पूरी तरह से गलत है या फिर राजनीतिक से प्रेरित है।
भारत में एक तिहाई मौत होने की बात कही गयी है
देश में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ो को छूपाने का आरोप विपक्ष लगाता रहा है, यह सवाल उस वक्त और गहरा गया जब संसद में मोदी सरकार के मंत्री ने देश को बताया कि आक्सीजन की कमी से देश में किसी की भी मौत नही हुई है, जबकि आंक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पडा था। गोदी मीडिया भी ऑक्सीजन में कमी से मौत का खबरें दिखा रहा था लेकिन मोदी सरकार ने गोदी मीडिया की खबरों को भी पूरी तरह से गलत बता दिया, लेकिन मीडिया ने किसी भी प्रकार का कोई सवाल नही उठाया, कि मोदी सरकार गलत जानकारी देश की जनता को दे रही है। विपक्ष की तरह ही अब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट में कोरोना के हुई मौत के मोदी सरकार के आंकड़ो पर सवाल उठाते हुए बताया कि भारत में कोरोना से 47 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है। जो दुनिया में हुई मौत का एक तिहाई है, इस रिपोर्ट मेें दुनिया में कोरोना से 1. 50 करोड़ लोगो की मौत होने की बात कही गई है। जबकि आधिकारिक आंकड़े 60 लाख है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश मौते दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुई है।
विश्व पटल पर गोदी मीडिया के निर्माण का वक्त आ गया है
विपक्ष के आरोपों की तरह ही भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकडो का नकारते हुए सवाल उठाया है कि जिस तकनीक या मॉडल के जरिए ये आंकडे इकट्ठा किए हैं वो ठीक नही हैं, साथ ही कहा है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा जो आंकडे जारी किए गए है वो सिर्फ 17 राज्यों को लेकर है, लेकिन राज्यों का भी उल्लेख तक नही किया गया है और डेटा किन आधार पर जुटाएं गये है यह भी स्पष्ट नही किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की चिंताओं पर ध्यान दिए बिना अतिरिक्त मृत्यु दर के अनुमान जारी किए है, जो वास्तविकता से परे है। देश में गोदी मीडिया जरूर विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट को रद्दी की टोकरी में डालने वाला बताने में कामयाब हो जायेगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि देश के गोदी मीडिया की तरह ही मोदी सरकार विश्व स्तर पर भी गोदी मीडिया होती तो निश्चित ही आज कोरोना के मौत के मामले पर मोदी सरकार के आंकडों को गलत बताने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन को विपक्ष की तरह नानी याद दिला देती, लेकिन ऐसा नही हो पाने के कारण निश्चित ही इस रिपोर्ट के सार्वजनिक हो जाने के बाद कही ना कही मोदी सरकार की इमेज विश्व पटल पर नुक्सान पहुंचा है । विपक्ष की तरह ही विश्व पटल में भी मोदी सरकार के आंकडे पर सवाल उठने लगे है, तो मोदी सरकार में देश का विगत आठ साल में जो सम्मान बढ़ा है उसक क्याा होगा, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मोदी सरकारके आंकड़े पर सवाल उठाने के बाद जरूरी हो गया है कि भविष्य में कोई और संस्थान मोदी सरकार के आंकड़े पर सवाल उठाने का साहस ना करे इसके लिए विश्व पटल पर भी गोदी मीडिया का निर्माण जरूरी है।