8 करोड़ में जितनी जमीन खरीदी थी उतनी ही जमीन दूसरे दिन 18.50 करोड़ में खरीदी
रामजन्म भूमि जमीन खरीदी विवाद भाजपा के उत्तरप्रदेश की सत्ता वापसी में सबसे बड़ा बाधक बन सकता है, क्योकि दो करोड़ की जमीन को राम जन्मभूमि ट्रस्ट के द्वारा 18.50 करोड़ में खरीदने का विवाद का पटाक्षेप नही हुआ है कि एक नया मामला सामने आ गया है। लगभग उतनी ही जमीन रामजन्म भूमि ट्रस्ट ने 8 करोड़ रूपये में एक दिन पहले खरीदी थी। एक दिन में जमीन का भाव दस करोड़ रूपये बढ़ जाना साबित करता है दाल में कुछ काला है। भाजपा इस मामले की सीबीआई जांच करा करके अपने आप को बचा सकती थी लेकिन ट्रस्ट के पक्ष में खड़ा होकर अपने हिन्दुत्व के मुद्दे को भी दावा में लगा दिया है,
निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्म दास ने भी इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मंाग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है।
भाजपा कोरोना की दूसरी लहर की नाकामी को छूपाने के लिए ही रामजन्म भूमि जमीन खरीदी के गोलमाल में ट्रस्ट के साथ इसलिए खड़ी नजर आयी कि इस पूरे मामले की हवा निकल जाने से कही ना कही भाजपा का हिन्दुत्व वादी चेहरे को और मजबूती मिलेती, जो बंगाल में फेल हो चुका था। जिसकी वजह से इस मामले की जांच सीबीआई या दूसरी एजेंसी ने कराने से बचती रही, जिस तरह से एक के बाद एक नये मामले राम जन्म भूमि खरीदी में सामने आ रहे है उससे भाजपा की मुश्किलें अब बढऩे लगी है। भाजपाई इस मामले पर विपक्ष को कटघरे में खड़ा करने के लिए उन्हें राम विरोधी, राजनीति से प्रेरित बता रहे है, वही भाजपा सांसद साक्षी महाराज इस मामले पर अखिलेश यादव व संजय सिंह को यह कहना कि चंदा की रशीद दिखा कर अपना चंदा वापस लेेने का तर्क भी लोगों को समझ में नही आ रहा है, और ना ही राम जन्मभूमि जमीन खरीद पर उठ रहे सवालों का जवाब देश की जनता को नही मिल जाता है। रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने एक दिन पूर्व भी लगभग एक हेक्टयेर से कुछ ज्यादा जमीन को 8 करोड़ रूपये में हरीश पाठक और कुसुम पाठक से खरीदी और उतनी ही जमीन अगले दिन 18.50 करोड़ रूपये में ट्रस्ट द्वारा खरीदा जाना लोगों के मनों में शंका तो पैदा ही करता है कि जमीनी खरीदी में चंदों के पैसों का गोलमाल हो रहा है क्योकि एक दिन में किसी भी हालत में जमीन का रेट 10 करोड़ रूपये नही बढ़ सकता है। इस पूरे विवाद का पटाक्षेट करने के लिए जरूरी है कि उच्चस्तरीय जांच हो, लेकिन मोदी सरकार या योगी सरकार इस मामले की जांच कराने से बच रहे है जिसकी वजह से इस भूमि खरीद विवाद के छिटे भाजपा के दामन में भी लगने लगे है। उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पूर्व रामजन्म भूमि जमीन घोटाला का सामने आने का मामला भाजपा की सत्ता वापसी में सबसे बड़ी बाधा बन सकता है क्योकि उत्तरप्रदेश बगैर हिन्दुत्व के मुद्दे पर भाजपा पुन: सत्ता में नही लौट सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शीतयुद्ध के बाद राम जन्मभूमि खरीद विवाद ने भाजपा के हिन्दुत्व मुद्दे की हवा निकाल दी है। बंगाल चुनाव में पहले ही भाजपा का हिन्दुत्व मुद्दा फेल हो चुका था।