केंद्र में मजबूत मोदी सरकार होने के बाद भी कमजोर कांग्रेस की तरह बंगाल में पलायन को नही रोक पा रही है भाजपा
केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार बंगाल उपचुनाव में टीएमसी को टक्कर देने की स्थिति में नही,
पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं व विधायकों के बाद अब सांसदों का भी भाजपा छोड़ कर टीएमसी में शामिल होने का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसकी शुरूआत आसनसोल के भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियों ने टीएमसी में शामिल हो कर की, सवाल यह है कि विधायकों की तरह ही क्या भविष्य में भाजपा के सांसद भी एक के बाद एक टीएमसी में बंगाल हित के लिए शामिल होगें? उल्लेखनीय है कि केंद्रिय मंत्रीमंडल से हटाने के बाद से ही बाबुल सुप्रीयों नाराज चल रहे थे, उन्होंने राजनीति से भी सन्यास लेने की बात कही थी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के मान मनोव्वल के बाद राजनीति नही छोड़ी, लेकिन अंतत: वह टीएमसी में शामिल होकर मोदी सरकार व भाजपा को किरकिरी का जो सिलसिला शुरू हुआ है उसका विस्तार ही किया। ज्ञात हो कि मोदी सरकार व भाजपा का आलाकमान बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद कार्यकर्ताओं व विधायकों के पलायन से पहले ही परेशान है।
विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा ने टीएमसी को हराने के लिए टीएमसी नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने की रणनीति बनायी, लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद टीएमसी भाजपा की चुनाव पूर्व वाली रणनीति पर चलते हुए सबसे पहले भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व विधायक मुकुल राय को अपनी पार्टी शामिल किया इसके बाद भाजपा विधायक सौमेन रॉय, विश्वजीत दास व तन्मय घोष भी टीएमसी में शामिल होकर मोदी सरकार व आलाकमान की चौतरफा किरकिरी करायी, क्योकि अभी तक भाजपा इसी पलायन को हथियार बना कर जहां कर्नाटक व मध्यप्रदेश में सरकार बना ली वही बंगाल में सत्ता के सपने तक देखने लगी थी। बंगाल की जनता ने भाजपा की इस रणनीति की हवा निकाल दी और चुनाव के बाद टीएमसी ने भाजपा व मोदी सरकार की भद्द पीटने के लिए उसी की रणनीति का सहारा ले रही है। राजनीतिक जानकारो का मानना है बंगाल में भाजपा नेताओं का पलायन जहां टीएमसी की मजबूती का परिचायक बन गया है वही मोदी सरकार की कमजोरी को भी सार्वजनिक कर रहा है क्योकि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के होने के बाद भी बंगाल में पलायल पर लगाम नही लग पा रही है। बंगाल में विधानसभा उपचुनाव के पूर्व सांसद बाबुल सुप्रियों का भाजपा छोड़ कर टीएमसी में शामिल होना साबित करता है कि बंगाल उपचुनाव में भाजपा कही भी नही है, सिर्फ रस्म अदायगी के लिए ही चुनाव लड़ रही है, क्योकि आलाकमान जान गया है कि बंगाल में ममता बेनर्जी के रहते दाल नही गलने वाली है। बंगाल में भाजपा की इस किरकिरी का असर राज्य के दूसरे हिस्सों पर भी पडऩा तय है, क्योकि हर भाजपा नेता का पलायन केंद्र में मजबूर सरकार की पोल खोल रहा है