May 1, 2025

विकास की गंगा बहाने के बाद, धु्रवीकरण का सहारा क्यो ?

उत्तरप्रदेश का चुनाव भाजपा सिर्फ विकास के मुद्दे पर नही जीत सकती है? विकास का लाभ जनता को मिला है तो अब्बाजान की जरूरत क्यो पड़ रही है योगी सरकार को

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा किया कि उनके कार्यकाल में उत्तरप्रदेश में संप्रदायिक दंगे खत्म होने से निवेशकों में अब उत्तरप्रदेश से भय नही लगता है। उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में प्रदेश देश में दूसरे नंबर पर होने के साथ ही सिविल एविएशन के क्षेत्र में भी बहुत तरक्की की है। वही अर्थव्यवस्था के मामले पर देश का दूसरा नंबर का राज्य बन गया है, योगी सरकार में उत्तरप्रदेश का कायाकल्प हो गया है इसके बाद भी योगी जी को अब्बा जान के साथ ही हिन्दू मुस्लिम राजनीति करने वोटों की धु्रवीकरण की क्यो जरूरत पड़ रही है। यह ऐसा सवाल है जो आम जनता के साथ ही राजनीतिक समीक्षकों के बीच चर्चा का विषय बनेगा कि जब उत्तरप्रदेश में रामराज्य आ गया है तो फिर धु्रवीकरण करने के लिए अब्बाजान जैसे शब्दों की जरूरत क्यो पड़ रही है। क्योकि पूर्व के चुनाव में श्मशान व कब्रिस्तान का उल्लेख किया जा चुका है।
योगी आदित्यनाथ के वादों के अनुसार उत्तरप्रदेश की कमान संभालने के बाद राज्य में चौतरफा खुशहाली आ गयी है, इसके बाद भी पंचायत चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, इसलिए जिला अध्यक्ष बनाने के लिए सरकारी तंत्र की मदद लेनी पड़ी थ। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि क्या पंचायत चुनाव में योगी सरकार के मंत्री व कार्यकर्ता आम जनता के समझा पाने में असफल रहे थे जो विधानसभा में उत्तरप्रदेश के विकास की बातों को नये सिरे से बताने की जरूरत पड़ रही है। डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी योगी सरकार को अब्बाजान व हिन्दू मुस्लिम करने वोटों का धु्रवीकरण की जरूरत पड़ता साफ संकेत है कि विकास सिर्फ कागजों में किया गया है, जमीन में नही इस बात से मुख्यमंत्री भी अवगत है। बंगाल की जनता ने भाजपा की धु्रवीकरण की राजनीति की हवा निकाल कर रख दी थी, सवाल यह है कि क्या उत्तरप्रदेश की जनता भी धु्रवीकरण की राजनीति से बाहर निकल कर अपनी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। क्योकि योगी सरकार की जीत से धु्रवीकरण की राजनीति को मजबूती मिलेगी जो बंगाल चुनाव के चलते दरक गयी थी।

विपक्ष योगी सरकार को जीतने के लिए तो नही लड़ रहा है

उत्तरप्रदेश में योगी सरकार को हराने के लिए बड़ी संख्या में राजनीतिक दल चुनावी मैदान में उतरने के लिए बेताब नजर आ रहे है, बड़ी संख्या में विपक्षी दलों के मैदान में उतरने से निश्चित ही योगी सरकार की जीत की उम्मीद ज्यादा बन जाती है, क्योकि वोटों के बिखराव का सीधा लाभ भाजपा को ही मिलेगा, और उनकी जीत से धु्रवीकरण की राजनीति को बल मिलने के साथ ही बेरोजगारी, देश की संपत्ति को बेचना, मंहगाई को मंजूरी मिलने के साथ ही किसान आंदोलन को नाकारा साबित कर देगी। सवाल विपक्ष योगी सरकार को हराने के नाम पर कही योगी सरकार के सत्ता में वापसी की राह को आसान तो नही बना रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजनीतिक दलों को जनता से ज्यादा अपने हितों की चिंता है इसलिए वह चुनावी मैदान में उतर कर अप्रत्यक्ष रूप से योगी सरकार की मदद करने का प्रयास कर रहे है। इसलिए जनता को जागरूक होने की जरूरत है क्योकि राजनीतिक दलों के इशारे पर बिखर गयी तो सर्वाधिक नुक्सान भी उन्ही का होगा, साथ कि किसान जो उत्तरप्रदेश के माध्यम से मोदी सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे है उस रणनीति की भी हवा निकल जायेगी।

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