May 1, 2025

यूपी की बगावत, बंगाल की बगावत को पीछे छोड़ा

बंगाल हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पकड़ पार्टी में कमजोर हुई है इसका यूपी बगावत जीता जागता उदाहरण है।

यूपी विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से विधायक व मंत्री भाजपा छोड़ कर दूसरी पार्टी की तरफ रूख कर रहे हेै वह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का एहसास होता तो निश्चित ही विधानसभा चुनाव को कुछ महीने आगे बढ़ा देते, लेकिन विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद यह सब हो रहा हेै जिसकी वजह से चाह कर भी अब कुछ नही कर सकते है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से विगत एक महीने में यूपी में सत्ता वापसी के लिए लोकार्पण व शिलान्यास किया उस पर विपक्ष दल नही भाजपा के विधायकों ने ही पूरी तरह से पानी फेर दिया है। आज शिकोहाबाद के बीजेपी विधायक डॉ. मुकेश वर्मा ने इस्तीफा दिया इसके बाद औरेया के बिधूना के विधायक विनय शाक्य ने   भाजपा छोड़ दी, 72 घंटो में भाजपा के आठ विधायक ने पार्टी छोड़ कर एक नया इतिहास लिखा है।  विगत तीन दिनों से लगातार भाजपा से मंत्री व विधायक इस्तीफा देना ही देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, यूपी में घट रहे राजनीतिक घटनाक्रम इस बात के स्पष्ट संकेत दे रहे है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बंगाल के बाद लगातार पार्टी में पकड़ कमजोर होती जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी फतेह करने के लिए विगत एक महीने से लगातार यूपी का दौरा करके करोड़ो अरबों रूपये के लोकार्पण व भूमिपूजन इस विश्वास के साथ किया कि जनता एक बार फिर उनके पक्ष में वोट करेंगी, लेकिन विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद जिस तरह से मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद भाजपा विधायक रोशन लाल, भगवती सागर, बृजेश प्रजापति ने इस्तीफा दिया, जिससे भाजपा की चुनावी रणनीति पूरी तरह से चरमरा गयी, अभी इस भूकंप से निजाद पाने की कोशिश ही भाजपा कर रही थी कि योगी सरकार के एक और मंत्री दारा सिंह चौहान के इस्तीफा दे दिया। यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रयाद मौर्य ने मंत्री चौहान से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की, उनकी अपील का कितना असर हुआ, यह तो जनता को पता नही चला लेकिन आज शिकोहाबाद के भाजपा विधायक डॉ. मुकेश वर्मा ने पार्टी से इस्तीफा देकर कही ना कही परेशानियों में इजाफा ही किया है। श्री वर्मा भाजपा पर आरोपा लगाया कि दलित, पिछड़े, और अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नेताओं को तवज्जों नही दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई बार आवाज उठाने की कोशिश की गयी लेकिन उनकी आवाज को दबा दिया गया। उन्होंने कहा कि 14 जनवरी को एक बड़ा हिस्सा बीजेपी को छोडऩे वाला है।  लेकिन औरेया के बूधनी के विधायक विनय शाक्य ने पार्टी छोड़ने के लिए 14 जनवरी का इंतजार तक करना जरूरी नहीं समझा। जो स्पष्ट संकेत दे रहा है कि योगी सरकार के खिलाफ भाजपा के अंदर ही कितना असंतोष व्यस्त है तो आम जनता के बीच असंतोष की क्या हालत होगी?

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