उज्जवला योजना का दम निकाला एलपीजी के बढ़ते दामों ने, 20 प्रतिशत लोग ही करा रहे है रिफिलिंग विपक्ष में रहते भाजपा के नेता पेट्रेाल व एलपीजी के दामों में वृद्धि होने पर आम जनता की समस्याओं के लिए जिस तरह से सड़कों में उतर कर सरकार को घेरते थे, सात साल बाद पेट्रेाल डीजल व रसोई गैस के बढ़ते दामों को लेकर भाजपा का कोई भी नेता आम जनता की समस्याओं को लेकर सड़क में उतरने का साहस नही कर रहा है। सवाल यह है कि मोदी सरकार के इन सात सालों में देश की आम जनता की कमाई में इतनी वृद्धि हो गयी है कि भाजपा नेता पेट्रेाल डीजल व एलपीजी के बढ़ते दामों पर आम जनता की मुश्किलें नजर नही आ रही है।
भाजपा के सत्ता में आने के बाद क्या नेता आम जनता की मुश्किलें से आंखे मुंद ली है? क्योकि अब इस पर कोई बात तक करना नही चाहता है हर भाजपा नेता जनता को यह बताने में लगा है कि मोदी सरकार देशहित में पेट्रेाल एलपीजी का दाम बढ़ा रही है। वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात सालों बाद देश की जनता को यह बता कर अपनी सरकार का बचाव कर रहे है कि पूर्व की सरकारों की गलत नीतियो के कारण पेट्रेाल डीजल के दाम बढ़ रहे है। गौरतलब है कि मोदी सरकार अपनी नाकामी को छूपाने के लिए हर मामले पर कांगे्रस सरकारों को जिम्मेदारी बताती रही है, लेकिन पेट्रेाल व डीजल के दामोंं में वृद्धि के लिए पूर्व की भाजपा व कांग्रेस सरकार को दोषी बता कर यह संदेश देने का प्रयास किया कि मोदी सरकार जनता का हितैषी आज भी है लेकिन पूर्व सरकारों की गलतियों को कारण ही पेट्रेाल व एलपीजी के दाम बढ़ाने को मजबूर होना पड़ा रहा है। गरीबों के शोषण का यह सिलसिला मोदी सरकार कब तक जारी रहेगी यह तो मोदी सरकार के मंत्री ही बता सकते है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पूर्व की 70 सालों की गलतियों को सुधारे के लिए भी मोदी सरकार को चालीस पचास साल तो लगेगें ही, इसके बाद भी जनता को पेट्रेाल डीजल से कुछ राहत मिल सकती है।
एलपीजी के बढ़ते दामों के कारण मोदी सरकार की महत्वकांक्षी उज्जवला योजना जो पहले से ही विवादों में है कि इस योजना का लाभ लेने वाले गरीब सेलेंडरों की रिफिङ्क्षलग नही करा पा रहे हैं। कुछ महीने से जिस तेजी से एलपीजी के दाम बढ़ रहे है उससे उज्जवल योजना का उपयोग करने वाले अन्य लोगों की भी मुश्किलें बढ़ा दी है। मोदी सरकार की उज्जवला योजना भी नोटबंदी की तरफ असफल होती दिखाई दे रही है क्योकि मोदी सरकार ने 1 मई 2016 को जब उज्जवला योजना शुरू की थी उस वक्त रसोई गैस की कीमत 450 रूपये थे, आज आठ सौ से ऊपर हो गयी है पांच सालों में एलपीजी सेंलेंडरों का दाम लगभग दूगूने के करीब पहुंच गया है। मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में सिर्फ 20 प्रतिशत उपभोक्ता ही गैस रिफिलिंग करा रहे है जिसमें भी कमी होने की संभावना है।