एनडीए में शामिल एनपीपी ने इसे भारत की भावना के खिलाफ बताया
कृषि बिल को लेकर जिस तरह से मोदी सरकार ने अकाली दल को विश्वास में नही लिया, जिसके चलते अकालीदल एनडीए से अलग हो गया, क्या सामान आचार संहिता पर भी मोदी सरकार ने एनडीए के सभी घटक दलों को विश्वास में नही लिया? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि क्योंकि मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने इसे भारत की भावना के खिलाफ बता कर कृषि बिल की तरह मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है, क्योकि अभी तक मोदी सरकार के नेता यूसीसी पर विपक्ष दलों पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रहे है, लेकिन मोदी सरकार एनडीए के अपने सार्थियों को ही भ्रम से मुक्ति नही दिला सके है।
कृषि बिल के बाद यूसीसी में भी दिखी एनडीए में बगावत
क्या मोदी सरकार अपने एनडीए के साथियों को विश्वास में लिये बगैर ही काम करती है, यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि कृषि बिल को लेकर पूर्व मेंं अकालीदल एनडीए से बाहर हो चुका है, उसी तरह ही सामान आचार संहिता को लेकर भी एनडीए मे फूट पड़ती दिखाई दे रही है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने सामान आचार संहिता को भारत की भावना के खिलाफ बताते हुए कहा कि भारत की ताकत विविधता है यूसीसी अपने मौजूदा स्वरूप में इस विचार के खिलाफ जाएगी। मेघालय में मातृसत्तात्मक समाज होने के साथ ही पूर्वोत्तर में विभिन्न संस्कृतियां है, जिन्हें बदला नही जा सकता है, इसलिए हम चाहेंगे कि वह बनी रहें।
सामान आचार संहिता देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक समान समूह के रूप में संदर्भित किया जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, वर्तमान में विभिन्न धर्मा के अलग अलग व्यक्तिगत कानून है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के वक्त सामान आचार संहिता को भाजपा चुनावी मुद्दा बनाती रही है लेकिन पहली बार लोकसभा चुनाव में इसे चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस बिल के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहते है कि दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? अगर लोगों के लिए दो अलग-अलग नियम हों तो क्या एक परिवार चल पाएगा? तो फिर देश कैसे चलेगा? हमारा संविधान सभी लोगों को समान अधिकारी की गारंटी देता है। एनडीए का हिस्सा एनपीपी के मुखिया व मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने सामान आचार संहिता भारत की भावना के बताते हुए पूर्वोत्तर की अनूठी संस्कृति और समाज को वैसे ही रहने की बात कहकर यह तो स्पष्ट कर दिया है कि मोदी सरकार कोई भी बड़े फैसलों में एनडीए के सहयोगी से विचार विमर्श करना भी जरूरी नही समझते है। मोदी सरकार विपक्ष को इन फैसलों के माध्यम से निशाना बनाने की कोशिश करते है लेकिन एनडीए के साथ ही उन पर ही निशाना साधने लग जाते है।