हर घर तिरंगा अभियान चलाने के बाद भी प्रधानमंत्री ने भगवा को राष्ट्रीय ध्वज बनाने वालों को किसी भी प्रकार का संदेश नही दिया।
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर घर तिरंगा अभियान की शुरूआत जरूर की है, लेकिन उन्होंने देश की जनता को यह विश्वास दिलाने का प्रयास नही किया कि देश का राष्ट्रीय ध्वज भगवा कभी नही बन सकता है, क्योकि भाजपा का समर्थन करने वाले या फिर भाजपा से जुडे नेता ही भगवा को राष्ट्रीय ध्वज बनाने की आवाज बुलंद करते रहे है। जिसके चलते कही ना कही हर घर तिरंगा अभियान को एक राजनीतिक स्टंट माना जा रहा है, कि राष्ट्रीय ध्वज के सहारे भी राजनीति के साथ ही विपक्ष को घेरा जा सकता है।
तिरंगा की जगह कभी भगवा नही ले सकता, यह कहने से मोदी सरकार को परहेज क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव पर हर घर तिरंगा अभियान की शुरूआत की है, जिसकों सफल बनाने के लिए भाजपाई हर संभव कोशिश भी कर रही है, लेकिन इस अभियान पर सवाल भी उठ रहे है कि भाजपा हर घर तिरंगा के सहारे राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है। भाजपा का समर्थन करने वाली आरएसएस जिनके मुख्यालय में स्वतंत्रता के कई दशकों बाद तक तिरंगा नही फहराया गया था, और आज भी गाहे बगाहें भगवा को राष्ट्रीय ध्वज बनाने की आवाज उठती रहती है, ऐसे में सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवा को राष्ट्रीय ध्वज बनाने की मांग करने वाले को करार जवाब देने के साथ ही देश की जनता में यह विश्वास जगाने के लिए सामने आना चाहिए था कि देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है और भविष्य में भी रहेगा, भगवा झंडा कभी भी तिरंगा की जगह नही ले सकता है। जिसके कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि हम हाथ में तिरंगा लिए अपने नेता नेहरू की डीपी लगा रहे है, लेकिन लगता है कि प्रधानमंत्री का संदेश उनके परिवार तक ही नही पहुंचा है, जिन्होंने 52 सालों तक नागपुर में अपने हेड क्वार्टर में झंडा नही फहराया, वे क्या प्रधानमंत्री की बात मानेंगे? कांग्रेस ने सवाल किया कि अभी भी आरएसएस की डीपी में तिरंगा नही लगाया गया है। संघियों को आज भी तिरंगे से परहेज है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर देश की जनता को यह संदेश देते कि देश का राष्ट्रीय ध्वज भगवा कभी नही बन सकता तो निश्चित ही हर घर तिरंगा अभियान पर उठने वाले प्रश्रचिन्हों पर विराम लग जाता, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर घर तिरंगा के माध्यम से जहां विपक्षी दलों को घेरने की कोशिश की वही दूसरी तरफ भगवा के राष्ट्रीय ध्वज बनाये जाने का रास्ता भी साफ रखा ताकि हिन्दुत्व के कोर एजेंडा पर किसी भी प्रकार का सवाल ना उठे।