
दक्षिण बस्तर में सिलगेंर में कैंप बनाने को लेकर ग्रामीणों के विरोध में तीन ग्रामीणों की मौत के मामले पर भाजपा नेता मौन ही साधे नजर आये, किसी ने भी पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाने की कोशिश नही की, आज भी सिलगेंर के ग्रामीण इंसाफ की लड़ाई अपने स्तर पर लड़ रहे है, भाजपा की जांच रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नही किया गया है कि इस घटना में मारेे गये लोग नक्सली थे या ग्रामीण। वही नारायणपुर में नक्सली मुठभेड़ में मानू नुरेटी के मारे जाने पर भाजपा नेता मुठभेड़ पर सवाल उठा रहे है। भाजपा नेताओं का कहना है कि मृतक का भाई डीआरजी में होने के साथ ही उसने बस्तर फाइटर्स भर्ती के आवेदन करने के साथ ही उसका आधार कार्ड, पंचायत से बनाया गया उसका निवास प्रमाण पत्र इस बात का सबूत है कि वह नक्सली नही था। सवाल यह है कि भाजपा नेताओं ने लगभग तीन साल मेंं पहली बार नक्सली मुठभेड़ पर सवाल उठाया है। क्या सिलगेर सहित दक्षिण बस्तर में हुई अन्य नक्सली मुठभेड़ जिसकों लेकर ग्रामीणों द्वारा सवाल उठाये जाते रहे है उसका जमीनी स्तर पर आंकलन करने का प्रयास किया कि नक्सली मुठभेड़ में मारा गया व्यक्ति नक्सली है या ग्रामीण? ज्ञात हो कि सारकेगुडा नक्सली मुठभेड़ की न्यायिक जांच की रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इस मुठभेड़ में मारे गये लगभग लोग निर्दोष है इसके बाद भी भाजपा ने पीडि़त परिवारों को अभी तक उचित मुआवजा दिलाने की आवाज बुलंद नही की, यह मुठभेड़ भाजपा सरकार में हुई थी।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बस्तर में नक्सली मुठभेड़ के नाम पर आये दिनों ग्रामीण मारे जा रहे है, लेकिन विपक्ष में होने के बाद भी भाजपा इस मामले पर राजनीति करने से बचती दिखाई देती है, जबकि विपक्ष में रहते कांग्रेस इन मुद्दे को उठाती रही है। जिसका लाभ भी उन्हें चुनाव में मिला। नारायणपुर जिले में नक्सली मुठभेड़ में मानू नुरेटी की मौत पर सवाल उठा कर भाजपा ने जवानों पर कही ना कही सवाल उठाया है जिससे वह तीन सालों से बचती रही है।