राकेश अस्थाना की नियुक्ति के बाद एक बार फिर दिल्ली सरकार और मोदी सरकार आमने सामने हुई
दिल्ली विधानसभा में राकेश अस्थाना की नियुक्ति का मुद्दा छाया रहा
सांसद नही चलने के लिए मोदी सरकार विपक्ष को जिम्मेदार बताती रही है लेकिन सवाल यह है कि किसी अधिकारी की नियुक्ति के मामले पर विपक्षी सरकारों के साथ तालमेल बैठाने का प्रयास किया जाता है, ताजा मामला राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त करने का है। जिसकों लेकर आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मानसून सत्र के पहले दिन ही नियम -55 के तहत मुद्दा उठा कर इसे नियम विरूद्ध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंधन करार दिया। उल्लेखनीय है कि पहले ही दिल्ली सरकार और मोदी सरकार के बीच रस्साकशी चल रही है, इस खींचतान को बढ़ाने के लिए ही संभवत: मोदी सरकार ने राकेश अस्थाना का कार्यकाल बढ़ा कर दिल्ली पुलिस आयुक्त बना दिया है, ताकि जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा सके। मोदी सरकार के कमान संभालने के बाद विपक्ष को महत्व नही देने की नयी परंपरा विकसित हुई जिसका विकास होते हुए अब विपक्षी सरकारों को भी नजर अंदाज करने तक पहुंच गया है। ऐसे में अगर सांसद नही चल पा रही है तो विपक्ष को जिम्मेदार बता कर मोदी सरकार अपना दामन बचाने का ही प्रयास कर रही है क्योकि मोदी सरकार चाहती है कि विपक्ष उनके इशारे पर ही काम करे, जो नही हो पा रहा है जिसकी वजह से गतिरोध बना हुआ है। वही राकेश अस्थाना की नियुक्ति के बाद दिल्ली सरकार और मोदी सरकार एक बार फिर आमने सामने हो गयी है। ज्ञात हो कि मोदी सरकार सीबीआई प्रमुख भी बनाई थी लेकिन विवाद के चलते कुछ ही दिनों में उन्हें पद से हटना पड़ा था।