पूर्व मुख्यमंत्री सरकार की चुप्पी पर सवाल उठा रहे है लेकिन भाजपा अपनी जांच दल की रिपोर्ट नही कर सकी है सार्वजनिक
सिलगेर मामले पर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया, लेकिन दक्षिण बस्तर के आदिवासियों के द्वारा पीडि़तों केा इंसाफ दिलाने के लिए लड़ी गयी एतिहासिक लड़ाई पर भाजपा का क्या रूख है यह चार महीना गुजर जाने के बाद भी स्पष्ट नही हो सका है। नये भारत में क्या स्थानीय मुद्दों पर भी विपक्ष अपना रूख की स्पष्ट करने की जगह सरकार के रूख का इंतजार कर रहा है? क्योकि मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष हर संभव कोशिश कर रहा है, जिसके चलते भाजपाई उन्हें देश विरोधी बता रहे है। छत्तीसगढ़ में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा सिलगेर मामले पर अपना बचाव करने के लिए सरकार की चुप्पी का सहारा ले रही है, जबकि सर्व आदिवासी समाज मारे गये तीनों लोगों को ग्रामीण बता रहा है और सरकार से मुआवजा दिलाने की लड़ाई भी लड़ रहा है। उल्लेखनीय हेै कि सिलगेर विवाद के एक पखवाड़े बाद भाजपा ने किसी तरह जांच दल का गठन करने की खानापूर्ति पर आदिवासियों में अपनी जगह बनाने का प्रयास किया लेकिन महीनों गुजर जाने के बाद भी सरकार की तरह ही भाजपा की जांच रिपोर्ट का सार्वजनिक नही किया जाना इस बात का प्रमाण है कि सिलगेर मामले से भाजपा अपने आप को दूर ही रखना चाहती है। जिससे वजह से पुलिस फायरिंग में मारे गये तीन लोग ग्रामीण है या नक्सली, इस पर भाजपा का रूख ही साफ नही हो पाया है, तो सरकार के रूख इस मामले पर कैसे स्पष्ट हो पायेगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि देश में छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य होगा जहां पर विपक्ष की सरकार की भाषा बोल रहा है, भाजपा आदिवासियों की हितैषी होने का दावा तो कर रही है लेकिन दक्षिण बस्तर में ग्रामीणों पर पुलिस के बीच बढ़ते संंघर्ष पर भाजपा पूरी तरह से सरकार के खड़ा खड़ी नजर आ रही है। ऐसे हालातों में भाजपा आदिवासियों का वोट कैसे ले पायेगी? क्योकि विपक्ष में रहते भाजपा आदिवासियों के साथ नही खड़ी नजर आ रही है तो सरकार में बैठने के बाद कैसे आदिवासियों के हितों का ध्यान रखेगी। कांग्रेस सरकार भाजपा की इस ढूलमूल रवैया का भरपूर लाभ उठा रहा है,जिसके चलते सिलगेर मामले की दंडाधिकारी रिपोर्ट की समयसीमा का विस्तार हो रहा है।