कोरोना की तरह ही टैक्स फ्री की जिम्मेदारी राज्यों पर डाली मोदी सरकार ने
इन दिनों कश्मीर फाईल्स फिल्म देश में चर्चा का विषय बनी हुई है, छत्तीसगढ़ में भी इस फिल्म को लेकर भाजपा कांग्रेस सरकार पर निशाना साध रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिल्म को लेकर राज्य में हो रही राजनीति पर विपक्ष को घेरने के लिए कश्मीर फाईल्स फिल्म देखने के लिए आमंत्रित देकर कही ना कही भाजपा के उन आरोपों की हवा निकालने की कोशिश की कि फिल्म को राज्य में दिखाने से रोका जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस दांव से निश्चित ही भाजपा जो अभी तक कश्मीर फाइल्स मामले पर फं्रट फुट पर खेलती दिखाई दे रही थी वह बैकफुट में आ गई है। भाजपाई की टैक्स फ्री करने की मांग पर भी श्री बघेल ने केंद्र सरकार से इस फिल्म को टैक्स फ्री की मांग करके मोदी सरकार को भी घेरने की कोशिश की है, क्योकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कश्मीर फाईल्स की तारीफ करके हुए विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा है कि जिसे फिल्म अच्छी नही लगीं, वह दूसरी फिल्म बना लें, कौन मना करता है? जिस सत्य को इतने वर्षो तक दबाकर रखा गया, उसकों तथ्यों के आधार पर फिल्म मेंं बाहर लाया गया तो कुछ लोग बौखला गए है। जिस तरह प्रधानमंत्री कश्मीर फाइल्स की तारीफ कर रहे है उसे देखते हुए देश भर में टैक्स फ्री करने की जिम्मेदारी उनकी बनती है ताकि पूरे देश के लोग इस फिल्म को देख सके, राज्यों को टैक्स फ्री की जिम्मेदारी देकर क्यो इस मामले का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। गौरतलब है कि कश्मीर फाइल्स फिल्म आने के बाद भाजपा नेता अपने खर्च पर स्वयं व अपने कार्यकर्ताओं को फिल्म दिखा रहे है।
तत्कालीन केंद्र सरकार कश्मीर हिंसा के लिए जिम्मेदार नही?
फिल्म को लेकर विपक्ष का आरोप है कि फिल्म में सच्चाई को छुपाने का प्रयास भी किया है क्योकि जिस वक्त यह घटना घटी उस वक्त दिल्ली मेेंं भाजपा समथित वीपी सिंह की सरकार थी, और कश्मीर के राज्यपाल भाजपा नेता जगमोहन थे, राष्ट्रपति शासन लागू होने के चलते कश्मीर पंडितों पर हुई हिंसा के लिए कही ना कही दिल्ली मेें बैठी सरकार भी जिम्मेदार है, इस पक्ष को फिल्म बनानेवालों ने पूरी तरह से क्योंनजरअंदाज कर दिया है, यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब देने से हर कोई बच रहा है। वही दूसरी तरफ इस हादसें के दौरान बहुत से मुस्लिम परिवारों ने हिन्दुओं को बचाया भी था, लेकिन उसकों भी फिल्म में पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया गया है। जो यही संकेत दे रहा है कि देश की वर्तमान ध्रुवीकरण की राजनीति को ध्यान में रखकर ही कश्मीर फाइल्स का निर्माण किया गया है,उसमें उन्हें तत्थों को दिखाया गया है जिससे धु्रवीकरण की राजनीति को बल मिल सके। सवाल यह है कि यह फिल्म कश्मीरी पंडितों की वापसी घाटी भेंज पाने में क्या सफल हो पायेगी, क्योकि भाजपा ने कश्मीर पंडितों को मुद्दा बना कर कांग्रेस सरकार को घेरने में जरूर कामयाब हुए लेकिन सवाल यह है कि विगत आठ सालों में कितने कश्मीर पंडितों को वापस भेजने में मोदी सरकार सफल हो सकी, वही कुछ महीनों पर एक बार फिर कश्मीर पंडितों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा था वह भी मोदी सरकार के दौरान।