भारतीय लोकतंत्र में जांच के बगैर क्लीन चिट दिये जाने की नयी परंपरा शुरू की मोदी सरकार ने
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही में बाधित होने पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि सांसदों को अपने आचरण से राष्ट्र के समक्ष उदाहरण प्रस्तृत करना चाहिए। सूचना प्रौघोगिकी मंत्री पेगासस स्पाइवेयर मुद्दे पर बयान देने वाले थे लेकिन एक सदस्य ने अनके हाथ से कागज छीन लिया। सदन की कार्यवाही निचले स्तर पर पहुंच गयी है। इस तरह की कार्यवाही हमारे संसदीय लोकतंत्र पर स्पष्ट हमला है। राज्य सभा सभापति वेंकैया नायडू ने सदन के प्रति चिंता तो जाहिर कर दी, लेकिन मोदी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने से क्यो परहेज किया क्योकि विगत आठ महीने से कृषि बिल वापसी को लेकर आंदोलन कर रहे है मोदी सरकार उन्हें मवाली बात रही है, राज्य सभा में कृषि बिल जिस तरह से पास हुआ वह भी दूनिया के सामने है लेकिन उस वक्त सत्ता से जूडे किसी भी नेता ने कृषि बिल की हो हल्ला में पास होने पर सवाल नही उठाया क्या इस तरह से भारतीय लोकतंत्र का सम्मान बढ़ता है जो सत्ता पक्ष मौन साधे रहा। जासूसी कंाड में मोदी सरकार अपने आपकों क्लीन चिट दे रही है, जबकि इसी मामले पर फ्रांस सरकार जांच करा रही है क्या यह लोकतंत्र का अपमान नही है। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मोैत नही होने का बयान भी मोदी सरकार ने संसद में दिया क्या यह लोकतंत्र का अपमान नही है क्योकि दुनिया के साथ ही देश ने देखा कि ऑक्सीजन के कमी से लोग मारे जा रहे थे। कैबिनेट मंत्री के साथों से कागज फांडने वालें सांसद शांतनू सेन को अशोभनीय आचरण के लिए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन मोदी सरकार ने सांसद में जिस तरह का अपमान किया है क्या उनके लिए किसी भी तरह की सजा की मांग भाजपा से जूडे नेताओं के द्वारा उठेगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सदन की गरिमा का ख्याल ना ही सत्ता पक्ष को है और ना विपक्ष को है। सत्ता पक्ष हर विवाद पर बगैर जांच के ही क्लीन चिट लेकर लोकतंत्र को गौरान्वित नही कर रहा है। राफेल मामले की जांच फ्रांस सरकार करा रही है लेकिन मोदी सरकार नही कराना चाहती है।