अजीत जोगी और विद्याचरण शुक्ल के बाद भूपेश बघेल व टीएस सिंहदेव के लड़ाई में कांग्रेस फंसी
छत्तीसगढ़ की राजनीति तब तक डांवाडोल बनी रहेगी, जब तक राहुल गांधी कोई स्पष्ट फैसला ना करें, लेकिन इस मामले पर अभी तक राहुल गांधी का कोई भी बयान नही आने से सस्पेंस बरकरार है। ढ़ाई ढ़ाई मुख्यमंत्री के फार्मूले पर प्रदेश प्रभारी पीएल पुलिया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव का बयान आ रहा है, जिससे स्थिति स्पष्ट नही होती है,क्योकि कोई भी इस फार्मूलें को सहमति देकर राजनीति में चल रही उठापटक को और आगे नही बढ़ाना चाहता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिल्ली प्रवास के बाद मामला खत्म होने की अटकलें लगायी जा रही थी लेकिन अचानक मुख्यमंत्री श्री बघेल के साथ ही 52 विधायक दिल्ली पहुंच स्पष्ट करता है कि मामला अभी खत्म नही हुआ था। छत्तीसगढ़ के विकास पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस की इतनी बड़ी फौज की जरूरत नही थी, पूर्व में भी कभी विकास की जानकारी देने के लिए इतने नेताओं को नही बुलाया गया था। जो बताता है कि मामला कुछ और ही था,जिस पर कांग्रेसी पर्दा डालने की कोशिश जरूर कर रहे है लेकिन प्रदेश की जनता जान रही है कि मामला क्या है, जिसके लिए दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन की जरूरत पड़ गयी? राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ प्रवास के बाद क्या इस राज से पर्दा उठ पायेगा कि ढ़ाई ढ़ाई साल वाल कोई फार्मूला नही है, क्योकि इस मामले को इतनी हवा मिल चुकी है कि जब तक राहुल गंाधी इस मामले को स्पष्ट नही करेगें तब तक असमंजस्य की स्थिति बनी रहेगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रदेश की राजनीति में आये भूचाल को अगर राहुल गंाधी ने समय रहते लगाम नही लगा पायी तो निश्चित ही आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है। क्योकि कुर्सी के लिए हुई खींचतान के चलते ही छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता में आयी थी, और 15 साल शासन किया, एक बार फिर कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है। राहुल गांधी इस समस्या से किस तरह से निजाद दिलाते है इस पर सभी की नजर है।
रेणु जोगी व सोनिया गांधी की मुलाकात औपरिचक से ज्यादा राजनीति से प्रेरित है
छत्तीसगढ़ में कुसी के लिए चल रही खींचतान के बीच रेणु जोगी का सोनिया गांधी से मिलना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित हो सकता है, क्योकि जोगी परिवार व मुख्यमंत्री श्री बघेल के बीच चल रही खींचतान सार्वजनिक है, भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहते जोगी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय संभव नही है, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जोगी कांग्रेस इस मुलाकात को औपचारिक मुलाकात जरूर बता रहा हेै लेकिन जिस समय में यह मुलाकात हुई है वह स्पष्ट करता है कि इस मुलाकात में राजनीतिक उद्देश्य भी है, क्योकि प्रदेश की राजनीति इन दिनों पूरे उफान पर है। जिस पर कांग्रेसियों के साथ ही भाजपा की भी पैनी नजर है। ऐसे में जोगी कांग्रेस कैसे बेफ्रिक रह सकती है।