शमी विवाद पर क्या मोदी सरकार की इमेज दुनिया में बढ़ी?
किसान आंदोलन पर रेहाना ट्वीट पर मोदी सरकार के साथ खड़े सचिन तेुंदलकर ने भी शमी का किसा समर्थन
किसान आंदोलन पर रेहाना के ट्वीट पर मोदी सरकार के साथ खड़े होने वाले सचिन तेंदुलकर मोहम्मद शमी के मामले पर मोदी सरकार की प्रतिक्रिया आये बगैर ही मोहम्मद शमी के साथ खड़ा होना आम जनता के साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना गया है कि क्या सचिन तेंदुलकर से राष्ट्रवाद का गुबार खत्म हो गया है जो सरकार के विरोध में बयानबंाजी कर रहे है, क्योकि इस मामले पर अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह का कोई भी बयान नही आया है, और ना किसी अन्य केंद्रीय मंत्री का।
टी-20 विश्वकप में पाकिस्तान के हाथों भारत को मिली हार की जीतनी चर्चा हो रही है उतनी ही चर्चा मोहम्मद शमी को लेकर भी हो रही है। हिन्दुत्व कट्टरपंथियों के पाकिस्तान से मिली हार के लिए मोहम्मद शमी को जिम्मेदार बता कर इस हार को मजहबी रंग देने की कोशिश की उसके बाद से देश के अंदर व देश के बाहर बयानबांजी का दौर शुरू हो गया। मोहम्मद शमी के साथ जहां भारतीय टीम खड़ी नजर आयी, वही किसान आंदोलन के मामले पर रिहाना के ट्वीट पर मोदी सरकार के साथ खड़े रखने वाले सचिन तेंदुलकर ने इस बार मोहम्मद शमी का बचाव करते हुए कहा कि जब हम टीम इंडिया का समर्थन करते हेै तो उन सभी का समर्थन करते है जो टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करता कर रहे हैं, मोहम्मद शमी प्रतिबद्ध और विश्व स्तर के गेंदबाज हैं। हरभजन सिंह ने कहा कि शमी केख्खिलाफ जैसी प्रतिक्रिया देखने का मिल रही है वो बेहद बकवास है, शमी चैम्पियन हैं, और हमारे लिए गौरव है,उन्होंने कई मैच जीताने में अहम भूमिका अदा की है, और हमें गौरवान्वित किया है। सहवाग ने भी शमी का समर्थन किया है।
शमी के समर्थन में आये राहुल गांधी
भारतीय टीम की तरह ही राहुल गांधी भी मोहम्मद शमी का समर्थन करते हुए कहा कि मोहम्मद शमी हम सब आपके साथ हैं, ये लोग नफरत से भरे हुए हेैं, क्योकि इन्हें किसी ने कोई प्यार नहीं दिया, इन्हें माफ कर दीजिए। वही मोदी सरकार इस तरह के मौके पर चुप रहना ही उचित समझती है, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोहम्मद शमी को लेकर चल रही विवाद पर मोदी सरकार का मौन स्पष्ट करता हेै कि वह मोहम्मद शमी पर सवाल उठाने वालों के साथ है, क्योकि विरोध करके अपने वोट बैंक को दाव में नही लगाना चाहते। जो बताता है कि देश से बड़ा उनके लिए कुर्सी है।
पाकिस्तान बांग्लादेश में भी शमी विवाद छाया रहा
पाकिस्तान की हार के लिए मोहम्मद शमी को जिम्मेदार बताने वाले हिन्दुत्व कट्टपंथियों ने क्या यह सोचा कि इससे देश व मोदी सरकार की इमेज पर क्या असर पड़ेगा? क्योकि इस विवाद की सुर्खियां पाकिस्तान मीडिया में चर्चा का विषय बनी। पाकिस्तान अखबार डॉन ने लिखा कि पाकिस्तान के हाथों बुरी तरह से हारने के बाद भारतीय टीम में एक मात्र मुस्लिम खिलाड़ी को निशाने पर लिया गया, वही इस हार के बाद मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं। 31 साल के शमी को मुख्य टार्गेट बनाया गया, जबकि भारतीय कप्तान विराट कोहली ने मैच के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेस में खुद ही कहा कि पाकिस्तान ने बेहतरीन खेल दिखाया है। शमी के इंस्टाग्राम अकाउंट पर सैकड़ो मैसेज किए गए हैं जिसमें उन्हें गद्दार बताया गया है, और टीम इंडिया से बाहर करने की मांग की है। वही पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के परिवार से ताल्लुक रखने वाली लेखक फातिमा मुट्टों ने कहा कि अपने ही मुल्क में शमी के साथ घिनौनी नफरत को देख मैं भयभीत हूं ऐसा लगता है कि नफरत की सड़ांध का संक्रमण हर जगह है। यहां तक कि हम मैच भी हारते है तो पाकिस्तानी प्रशंसकों में हास्य और खुुद का ही मजाक बनाते हुए देखा जा सकता हैं। वही जिओ टीवी और एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने भी शमी के साथ हुई ऑनलाइन ट्रोलिंग को प्रमुखता से जगह दी है और कहा है कि यह भारत में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत की ताजा मिसला है। वही ढाका ट्रिब्यून ने भी शमी की खबर को प्रमुखता से जगह देकर मोदी सरकार की सबका साथ सबका विकास नारे की हवा निकालने की कोशिश की है।