रामराज्य को नही जानने वालों को साक्षात दर्शन कराये
रामराज्य के लिए एसपी को थप्पड़ खाने व विधायक के सामने चिरौरी करने को मजबूर होना पड़ा
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में देश – दुनिया को रामराज्य से अवगत कराने का कोई भी मौका नही गवांया। जहां 5000 साल बाद पुन: योगी के रामराज्य में महिला का चीरहरण की नींव रखी गयी वही इटावा एसपी को किसी ने थप्पड़ मार दिया, भाजपा विधायक के सामने एसपी हाथ जोड़ कर कार्यकर्ताओं को हटाने की गुहार लगाते दिखे, वही इटावा और प्रतापगढ़ में फायरिंग भी हुई। योगी के इस रामराज्य को देखकर मोदी सरकार इतनी प्रभावित हुई कि बंगाल हिंसा की तरह उत्तरप्रदेश में हुई इन घटनाओं की ना ही निंदा की और ना ही किसी भी प्रकार का जांच कराने की बात ही कही। जो यही संदेश दे रहा है कि योगी सरकार में हुई हिंसा रामराज्य को मजबूती प्रदान करने के लिए की गयी है।
चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश की जनता के साथ ही देश दुनिया में रामराज्य की झलक दिखाने के लिए पंचायत चुनाव का भरपुर उपयोग करके बता किया कि रामराज्य में क्या क्या होता है। पहले जिला अध्यक्ष चुनाव में विपक्षी दलों को रोक कर शानदार सफलता हासिल की, इसके बाद ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में रामराज्य का विस्तार करते हुए विरोधियों को नामांकन से रोकने के लिए देश में 5000 साल पुरानी महिला चीरहरण घटना को अंजाम देने के साथ ही जम कर हिंसा की, ताकि विरोधियों को हौसले पस्त हो जायें, ताकि भविष्य में कोई भी रामराज्य में सवाल उठाने का साहस ना कर सके। जिसके लिए गुंदागर्दी का सहारा लेने में भी योगी सरकार पीछे नही दिखी, इस चुनावों में जहां फायरिंग के साथ ही एसपी को थप्पड़ भी सहने को मजबूर होना पड़ा इसके अलावा एसपी भाजपा विधायक के सामने कार्यकर्ताओं को हटाने की गुहार भी लगानी पड़ी, ताकि रामराज्य को स्थापित किया जा सके, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आईएएस अधिकारियों द्वारा रामराज्य स्थापित करने के लिए दिया गया यह बलिदान देश व दुनिया हमेशा याद रखेगी कि रामराज्य के लिए किस तरह पंगू हो गये थे। बंगाल में हुई हिंसा के लिए भाजपाई ममता बेनर्जी को दोषी बता रहे थे, जबकि उत्तरप्रदेश हिंसा के लिए योगी सरकार को दोषी बताने का साहस किसी में नही है, क्योकि योगी सरकार में चुनाव के दौरान हुई हिंसा उत्तरप्रदेश में रामराज्य को मजबूती प्रदान करने के लिए की है, जबकि बंगाल में हुई हिंसा लोकतंत्र की हत्या थी। मोदी सरकार भी उत्तरप्रदेश में हुई हिंसा पर मौन साधना बताता है कि उसकी नजर में भी बंगाल हिंसा और उत्तरप्रदेश की हिंसा में अंतर है।