कटनी के बाद राजा की मंडी स्टेशन में मंदिर हटाने का मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति में छाया
यूपी में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी मंडल रेल प्रबंधक आनंद स्वरूप ने आगरा के राजा की मंडी स्टेशन में स्थित चामुंडा माता मंदिर को हटाने का नोटिस जारी करने के साथ ही यह धमकी भी दी है कि अगर अतिकमण नही हटा तो राजा की मंडी स्टेशन बंद करना होगा। डीआरएम ने सीधे सीधे मोदी और योगी सरकार के हिन्दुत्व की राजनीति से टकराने का प्रयास किया है्र इसमें किसकी जीत होती है इसके लिए देश की जनता को इंतजार करना पड़ेगा, क्योकि मोदी सरकार भी रेल की रफ्तार को बढ़ाने की हर संभव कोशिश कर रही है, रफ्तार में मंदिर बाधा बनेगा, संभवत:मोदी सरकार को भी नही मालूम होगा अन्यथा वह रेल की रफ्तार बढ़ाने का फैसला ही नही करते। अभी तक इस मामले में योगी सरकार और मोदी सरकार के किसी भी नेता का बयान नही आना यही संकेत दे रहा है कि मोदी और योगी सरकार डीआरएम के साथ खड़े है। लेकिन भाजपा का समर्थन करने वाले विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के लोग इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि राजामंडी रेलवे स्टेशन पर स्थित प्राचीन चामुंडा मंदिर की एक इंच भूमि भी रेलवे को नही दी जायेगी।
हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी भी मंदिरों को हटाने का नोटिस जारी कर रही है विकास के नाम पर
यूपी के आगरा स्थित राजा की मंडी रेलवे स्टेशन में चामुंडा माता के मंदिर को हटाने के मामले को लेकर रेल विभाग और विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल आमने सामने है। योगी और मोदी सरकार के नेता इस मामले चुप्पी साधे हुए है जिससे राजनीतिक जानकारों का अनुमान है कि वह डीआरएम के फैसले के साथ खड़े है। क्योकि हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली भाजपा मंदिर के मामले पर चुप रह ही नही सकती है, इसका जीता जागता उदाहरण राजस्थान में तीन सौ साल पुराने शिव मंदिर तोडऩे का है्र जिसमें भाजपाईयों ने जमकर राजानीति उस वक्त की जब मंदिर को तोडऩे के लिए भाजपा नगरनिगम द्वारा अनुमति प्रदान की गयी थी, जो बताता है कि भाजपा विपक्षी राज्य में मंदिर को तोडऩे को लेकर कितनी संवेदनशील है, लेकिन भाजपा शासित राज्यों में मंदिर तोडऩे केा लेकर वैसी संवेदनशीलता नही दिखाई देती है । आगरा डीआरएम आनंद स्वरूप ने 10 अप्रैल 2022 को नोटिस जारी किया कि राजा की मंडी के प्लेटफार्म नंबर 1 से मंदिर को हटा लिया जाए , नही तो रेलवे प्राचीन चामुंडा मंदिर को हटाने का कार्य करेगा। इसके बाद से यह मामला तुल पकडऩे के साथ ही विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने रेल विभाग के इस फैसले का खूल कर विरोध किया, मंदिर के महंत वीरेंद्रानंद ब्रम्हाचारी का कहना है कि मंदिर राजा की मंडी स्टेशन बनने से पहले का है, ऐसे मेें मंदिर शिफ्ट करने का प्रश्र ही नही उठता है। जिसको देखते हुए डीआरएम का कहना है कि अगर अतिक्रमण नही हटाया गया तो राजामंडी स्टेशन बंद कर दिया जायेगा, मंदिर परिसर का कुछ क्षेत्रफल 1716 वर्ग मीटर है जिसके 72 वर्ग मीटर का क्षेत्र सीधे प्लेटफार्म नंबर 1 पर पड़ता है, रेलवे का कहना है कि ये शेड्यूल ऑफ डाइमेंशन का उल्लंघन है ऐसे में 72 वर्ग मीटर भूमि को प्राथमिकता से खाली कराया जाए, ताकि ट्रेनों की रफ्तार में तेजी आ सकें। गौरतलब है कि मोदी सरकार भी रेलवे की रफ्तार बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है लेकिन राजा की मंंडी स्टेशन में स्थित मंदिर बाधा बन कर खड़ा हो गया है। अगर मंदिर नही हटा तो क्या राजामंडी रेलवे स्टेशन हटाया जायेगा?
कटनी में भी मंदिर हटाने को लेकर हो चुका है विवाद
राजा की मंडी रेलवे स्टेशन विवाद के पूर्व मध्यप्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन में भी मंदिर को हटाने के लेकर विवाद हो चुका है। कटनी रेलवे स्टेशन के बाहर बने मंदिर के सामने रेलवे प्रशासन के द्वारा बनायी गयी दीवार के कुछ हिस्से को हिन्दू संगठन के लोगों ने तोड़ देेने के साथ ही प्रशासन को दीवार हटाने की चेतावनी भी दी थी। उल्लेखनीय है कि मंदिर के सामने दीवाल का निर्माण सौंदर्यीकरण और विकास में बाधा मानते हुए उसे रेल प्रशासन दूसरी जगह शिफ्ट करना चाह रहा था, जिसका हिन्दू संगठनों ने विरोध किया, प्रशासन ने बीच का रास्ता निकालते हुए मंदिर के सामने दिवाल बना दी गई लेकिन हिन्दू संगठनों ने इसका भी विरोध करते हुए दीवार के कुछ हिस्से को हथौड़ा, सब्बल, और अन्य औजारों से तोड़ दिया है।