आजादी के अमृत महोत्सव में भाजपा सरकार ने पत्रकारों के लिए चरित्र प्रमाण पत्र अनिवार्य करने का एतिहासिक फैसला लिया
भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारिता के नये नये आयाम स्थापित किये जा रही है, इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 5 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के मंडी में आयोजित रैली को कवर करने वाले पत्रकारों को पुलिस उपाधीक्षक, सीआईडी बिलासपुर से चरित्र प्रमाण पत्र लेने का आदेश जिला प्रशासन ने निकाल कर एक एतिहासिक परंपरा की शुरूआत की है। आजादी के अमृत महोत्सव में पत्रकारों के लिए चरित्र प्रमाण पत्र बनाने की अनिवार्यता का निश्चित ही भाजपा सरकार के अन्य फैसलों की तरह पत्रकारों को स्वागत कर रहे है इसलिए राष्ट्रीय मीडिया द्वारा इसका विरोध नही किया जा रहा है, विपक्षी दल खानापूर्ति के लिए विरोध जरूर कर रही है।
विपक्ष विरोध कर रहा है लेकिन राष्ट्रीय मीडिया के पत्रकारों का मौन समर्थन है?
सरकारी नौकरी के लिए अभी तक चरित्र प्रमाण पत्र की अनिवार्यता थी, लेकिन हिमाचाल प्रदेश की भाजपा सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव में इसका विस्तार करते हुए 5 अक्टूबर को मंडी में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को कवर करने वाले शासकीय और गैर शासकीय पत्रकारों के लिए चरित्र प्रमाण पत्र अनिवार्य करके एक एतिहासिक परंपरा की शुरूआत की है। जिला प्रशासन ने अपने आदेश में कहा गया है कि प्राइवेट और सरकारी सभी मीडिया संस्थानों को चरित्र प्रमाण लाने को कहा है, जो पुलिस उपाधीक्षक सीआईडी बिलासपुर के कार्यालय द्वारा दिया जाएगा। विपक्षी दल भाजपा की हर फैसले की तरह ही इस फैसले का भी विरेोध कर रहे है, आप के प्रवक्ता पंकज पंडित का कहना है कि पत्रकारिता के 22 सालों के अपने करियर में उन्होंने पहली बार इस तरफ की विचित्र अभिसूचना देखी है, कांग्रेस के प्रवक्ता नरेश चौहान का कहना है कि यह मांग मीडिया की आजादी के खिलाफ है, लेकिन अभी तक राष्ट्रीय मीडिया के पत्रकारों द्वारा पत्रकारों के चरित्र प्रमाण पत्र का विरोध नही किया है, जो इस बात का प्रमाण है कि पत्रकार भाजपा सरकार के इस फैसले के साथ भी मजबूती से खड़े होकर देश निर्माण में अपना पूरा योगदान दे रहे है।