May 1, 2025

वैक्सीन सर्टिफिकेट में पीएम फोटो को मामला अंतत: कोर्ट पहुंचा

विदेशों में नेता अपनी फोटों कोरोना सर्टिफिकेट पर नही लगा रहे है, लेकिन देश में निजी खर्च पर वैक्सीन लगाने वालों की सर्टिफिकेट पर भी प्रधानमंत्री की फोटो लगायी जा रही है

कोरोना वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो होने पर सवाल गहराता जा रहा है। केरल के बुजुर्ग आरटीआई कार्यकर्ता पीटर म्यालीपराम्बिल ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कि जब मैंने अपने पैसे से कोरोना वैक्सीन ली है और सरकार सभी को निशुल्क कोरोना वैक्सीन नही दे पा रही है तो सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की फोटो क्यों लगायी जा रही है। केरल हाईकोर्ट की न्यायामूर्ति पीबी सुरेश कुमार की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। उल्लेखनीय है कि कोरोना वैक्सीन दुनिया के अन्य देशों में भी लगायी जा रही है लेकिन जिस तरह से भारत में कोरोना वैक्सीन की सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो लगाया गया वैसा अनोखा प्रयोग किसी और देश ने नही किया, ऐसा क्यो? क्या उन देशों के नेता अपना प्रचार नही चाहते थे या वहां की जनता ज्यादा जागरूक है कि फोटो लगाने पर विरोध हो जायेगा, इसलिए नही लगाया। यह ऐसा सवाल है जिसकी भारतवासी अपने अपने स्तर पर समीक्षा कर रहे है।

मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है

कोरेाना वैक्सीन की सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो को लेकर सवाल खड़े होते रहे है, लेकिन केरल के आरटीआई कार्यकर्ता पीटर म्यालीपराम्बिल ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए सवाल खड़ा किया है कि जब वह अपने पैसों से वैक्सीन लगायी है तो फिर सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की फोटो क्यो है? उनका कहना है कि व्यक्तिगत वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि मुफ्त टीकों के कमी होने के कारण उन्होंने एक प्राइवेट अस्पताल में 750 का भुगतान करके कोरोना वैक्सीन का डोज लिया, इसलिए वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाकर सरकार को वैक्सीन के क्रिडिट लेेने का दावा करने का कोई अधिकार नही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने अमेरिका, इंडोनिशिया, इजराइल, कुवैत, फ्रांस और जर्मनी के भी टीकाकरण प्रमाण पत्र की कॉपी प्रस्तृत करते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राष्ट्राध्यक्ष की तस्वीर नही है। यह केवल एक व्यक्ति के टीकाकरण की स्थिति की पुष्टि करने के लिए जारी किया गया एक सर्टिफिकेट है, इसलिए सर्टिफिकेट में प्रधानमंत्री की तस्वीर का होना जरूरी नही है। जैसा कि दूसरे देशों द्वारा जारी सर्टिफिकेट में साफ नजर आ रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि देश में चल रहा टीकाकरण अभियान दुनिया का सबसे बड़ा टीककारण अभियान बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी को इसका श्रेय दिया गया और यूजीसी तथा केंद्रीय विद्यालयों में प्रधानमंत्री के धन्यवाद वाले बैनर भी लगाए गये। कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मीडिया अभियान में बदला जा रहा है। देश के खर्च पर एक व्यक्ति को प्रोजेक्ट करते हुए प्रचार किया जा रहा है, साथ ही टीकाकरण से प्रधानमंत्री को इतनी प्रमुखता दी जा रही है उससे विचार भी प्रभावित हो रहे है। इस मामले पर कोर्ट क्या फैसला करता है इस पर सभी की नजर है, क्योकि प्रधानमंत्री की फोटो का विवाद आम जनता के बीच भी लम्बे समय से चर्चा का विषय तो बना लेकिन किसी ने इस मामले को कोर्ट तक ले जाने का कोशिश नही की। यह जरूर है कि पूर्व में राज्य सरकारों द्वारा मुख्यमंत्री की फोटो लगाने लगी थी ,जिनका खर्च राज्य सरकार उठा रही थी।

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