May 1, 2025

पाकिस्तान की जीत के साथ ही देश में राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद हुई

योगी सरकार ने भी पाकिस्तान की जीत पर जश्र मानने वालों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया
देश में अमेरिका जिंदाबाद का नारा लगाया जा सकता है लेकिन पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा नही
डॅा कफील खान के मामले परभ्भी योगी सरकार राष्ट्रद्रोह साबित नही कर पायी

उत्तरप्रदेश में योगी सरकार को चुनावी वैतारणी को पार लगाने के लिए भगवान राम के अलावा राष्ट्रवाद का ही सहारा है। विश्व कप में पाकिस्तान की भारत पर जीत से राष्ट्रवाद को साबित करने के लिए योगी सरकार ने पाकिस्तान की जीत पर पटाखे व सेाशल मीडिया में जश्र मनाने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाये जाने के निर्देश दिये है, जबकि इसी मामले पर राजस्थान के उदयपुर की शिक्षका नफीसा अटारी द्वारा वॅाट्सएप पर पाकिस्तान खिलाडिय़ों की तस्वीर के साथ हम जीत गये लिखने पर पुलिस ने कार्यवाही तो की लेकिन कोर्ट से 20 हजार के मुचलके पर जमानत भी दे दी। ऐसे में सवाल उठता है कि देशद्रोह का मामला कोर्ट में क्यो नही टिक पाता है। पूर्व में योगी सरकार ने डॉ कफील खान पर देशद्रोह का आरोप लगाया था लेकिन कोर्ट में साबित नही कर पाने के कारण फजीहत हुई थी, क्या इस बार योगी सरकार पाकिस्तान की जीत पर खुशी मानने वालें पर देशद्रोह का केस कोर्ट में साबित कर पायेगी? या सिर्फ आगामी उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर करके योगी सरकार अपना राष्ट्रवाद साबित करने का प्रयास कर रही है?

राजद्रोह साबित कर पायेगी योगी सरकार

विश्व कप में पाकिस्तान के हाथों भारत को मिली पराजय के बाद भी देश में राजनीति खत्म होने का नाम नही ले रही है। इस मैच के परिणाम के बाद जिस तरह से देशद्रोह के अंतर्गत कार्यवाही की गयी है उसे देखते हुए मोदी सरकार को भविष्य में दुनिया के किसी भी हिस्से पर भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच नही होने देना चाहिए। राजनीतिक जानकारों का कहना हेै कि एक तरफ सरकार पैसों के लिए भारत और पाकिस्तान का मैच करती है और दूसरी तरफ देशद्रेाह के नाम पर कार्यवाही करके कही ना कही लोगों के आपसी रिश्तें भी खराब करती नजर आ रही है। इस मैच के बाद जिस तरह से कश्मीरी छात्रों पर कार्यवाही व मारपीट हुई है उससे कही ना कही कश्मीर पर भी अप्रत्यक्ष रूप से पढ़ सकता है जहंा पहले से ही हालत बहुत खराब है। योगी सरकार ने भी इस मामले पर सक्ती बरतते हुए पाकिस्तान की जीत पर खुशी मानने वाले सात लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया है जिसमें चार लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। ज्ञात हो कि पूर्व में योगी सरकार ने डॉ कफील खान को भी राजद्रोह के मामले पर गिरफ्तार तो किया था लेकिन कोर्ट में साबित नही कर पाने के कारण जमानत मिल गयी थी। सवाल यह है कि योगी सरकार क्या कोर्ट में भी पाकिस्तान की जीत पर खुशी मनाने वालों को देशद्रोही साबित कर पायेगी? अगर ऐसा नही हुआ तो निश्चित ही योगी सरकार पर सवाल गहरा जायेगा।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लगाये गये नारे को राजद्रोह साबित नही पाई पुलिस

मोदी सरकार इंदिरा गांधी के हत्या के बाद सिखों पर हुए जूर्म का उल्लेख करके अपनी राजनीति तो चमका लेते है लेकिन इस घटना के बाद सिखों के द्वारा लगाये गये खलिस्तान जिंदाबार और राज करेगा खालसा के नारे को देशद्रोह साबित नही कर पाने को लेकर कुछ भी नही बोलते है। यह चुप्पी इसलिए भाजपाईयों ने ओड़ रखी है क्योकि वह भी विरोध की आवाज को दबाने के लिए इसी कानून का उपयोग कर रहे है। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब सरकार के दो कर्मचारी बलवंत सिंह और भूपिंदर सिंह को खालिस्तान जिंदाबाद और राज करेगा खालसा के नारे लगाने पर गिरफ्तार किया गया था। उन पर आईपीसी की धारा 124- ए के तहत राजद्रेाह के केस दर्ज हुआ था, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और 1995 मेें जस्टिस एएस आंनद और जस्टिस फैजानुद्दीन की बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह से एक दो लोगों का नारा लगाना राजद्रोह नही है। बेंच ने कहा कि दो लोगोंं का इस तरह से नारा लगाना भारत की सरकार और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा नही हैं, इसमें नफरत और हिंसा भड़काने वाला भी कुछ नही है। ऐसे मे राजद्रोह का आरोप बिलकुल गलत है। सरकारी वकील ने कहा कि इन्होंने हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाये इस पर कोर्ट ने कहा कि इक्के दुक्के लोगों के इस तरह के नारे लगाने से इंडियन स्टेट को कोई खतरा नही है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के माहौल में ऐसी कार्रवाइयों से हम समस्या खत्म नहीं करते बल्कि बढ़ाते ही है।

कन्हैया का मामला

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार के ऊपर लगाया गया राजद्रोह का आरोप पत्र पुलिस चार साल बाद भी दायर नही कर पायी है। दिल्ली सरकार के अनुमति पर आरोप पत्र दायर हो सकता है लेकिन कोर्ट में अगर साबित भी होता हेै कि कन्हैया ने भारत विरोधी नारे लगाए थे तो जस्टिस एएस आनंद के फैसले की नजीर जरूर दी जाएगी। जिसके चलते यह मामला अटका हुआ है।
पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी का कहना है कि अगर अमेरिका जिंदाबाद या ट्रंप जिंदाबाद कहने में कोई दिग्गत नही है तो फिर पाकिस्तान जिंदाबाद कहने पर क्यों दिग्गत नही होनी चाहिए, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जिंदाबाद कहना तब तक कोई अपराध नही है जब तक कि भारत और पकिस्तान के बीच कोई युद्ध नहीं हो रहा हो या फिर पाकिस्तान को शत्रु मुल्क घोषित न किया गया हो, जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान से भारत के संबंध अच्छें नही है लेकिन दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनेयिक संबंध आज भी बने हुए है।

पूर्व में भी पाकिस्तान जीत पर राजद्रोह का मामला दर्ज हो चुका है

चैंपियंस ट्रांफी में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जून 2017 में जीत पर जश्र मनानेके आरोप में 20 मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया था, ये मामला मध्यप्रदेश और राजस्थान का था, इन पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था , लेकिन बाद में मध्यप्रदेश ने 15 लोगों से यह मामला हटाना पड़ा। उसी तरह ही टी 20 महिला विश्व कप में भारत ने आस्ट्रेलिया को 17 रनों से हराने के बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान अलिसा हेली ने भारतीय दर्शकों की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें अच्छा लगा कि इतनी बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखने के लिए आये। जबकि इस मैच में भारत मूल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने भारत माता की जय और वंदे मातरम् के नारे लगाये। लेकिन आस्ट्रेलिया के कप्तान ने यह सवाल नही उठता हेै कि आप यहां का खाते है और भारत का गाते है बल्कि लोगों के क्रिकेट इंजाय पर खुशी जाहिर की। पसंद को लेकर किसी को गद्दार नहीं घोषित किया जा सकता है। किस खिलाड़ी को पसंद करते है या किसकी जीत हंसाती है और किसकी हार रूलाती है यह बिल्कुल निजी इमोशन है इसे कोई थोप नहीं सकता है। वही दूसरी तरफ भारतीय क्रिकेट के कप्तान विराट कोहली ने नवंबर 2018 में एक प्रशंसक को कह दिया था कि उन्हें भारतीय खिलाड़ी से ज्यादा इंग्लिश और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी अच्छे लगते है तो भारत छोड़ कर विदेश में बस जाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *