राजनीति क्षेत्र में बेरोजगार नेताओं को रोजगार देने की अपार संभावनाएं मौजूद है देश में
मोदी सरकार बेरोजगारों की समस्या से युवाओंं को निजाद दिलाने के लिए महत्वकांक्षी अग्रिपथ योजना की शुरूआत की है, उसी तर्ज पर राजनीति में बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए भी मोदी सरकार को ऐसी योजना लागू करनी चाहिए कि पार्षद से संसद एक बार चुनाव जीतने के बाद पार्टी उसे दूसरा टिकट ना देकर किसी और को टिकट देकर नये बेरोजगार नेताओं को रोजगार देकर देश में बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने के साथ ही नये चेहरों को राजनीति में मौका दे सकती है।
अग्रिवीरों के लिए चार साल और नेताओं के लिए पांच साल की सीमा निर्धारित हो
मोदी सरकार ने सैन्य क्षेत्र में देश के आजादी के 75 सालों के बाद एतिहासिक बदलाव करते हुए युवाओं को रोजगार देने के लिए अग्रिपथ योजना शुरू की है, जिसके तहत सेना में सिर्फ चार साल के लिए ही भर्ती की जायेगी। निश्चित ही कांग्रेस सरकार की सैन्य भर्ती प्रक्रिया में समय के साथ बदलने की जरूरत सेना से जूडे अधिकारी भी महसूस कर रहे थे। मोदी सरकार के मंत्री भी इस योजना को एतिहासिक बताते हुए दावा कर रहे है कि इससे बेरोजगारी की समस्या खत्म हो जायेगी , क्योकि चार साल में अग्रिवीरों के पास पैसा के साथ ही सेना का अनुशासन भी होगा। उसी तरह ही राजनीति क्षेत्र में भी युवाओं को रोजगार देने के लिए आकाशपथ जैसी योजना लानी चाहिए, जिसमें पार्षद से लेकर सांसद तक जो बार चुनाव जीत गया है उसे दूसरी बार टिकट ना देकर किसी नये बेरोजगार नेताओं को टिकट देकर रोजगार दे सकती है। पांच साल में पार्षद के लेकर सांसद के पास राजनीति अनुभव के अलावा पैसा भी होगा, वह भी अगानिवीरों की तरह दूसरा रोजगार करके बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने में सहयोग कर सकता है। सेना में जाने वाले युवाओं की तरह ही राजनीति में युवा नेता कमरतोड़ मेहनत करते है, ताकि उन्हें चुनाव का टिकट मिल सके, लेकिन ताकतवर नेता लगातार चुनाव लड़ कर बेरोजगारी की समस्या को बढ़ाने का काम 70 सालों से काम कर रहे हैं इसमें भी बदलाव की मांग उठने लगी है । अग्रिपथ योजना में युवाओं की उम्र चार साल निर्धारित की गयी है उसी तरह ही नेताओं की सीमा भी पांच साल के लिए ही निर्धारित बेरोजगारी की समस्या से मजबूती से लड़ा जा सकता है।
देश से बड़ी पेंशन नही है
सरकारी बोझ कम करने के लिए जिस तरह से अग्रिवीरों के पेंशन को खत्म कर दिया गया है, उसी तरह ही सरकारी बोझ को खत्म करने के लिए नेताओं की पेंशन योजना को भी खत्म किया जा सकता है, क्योकि नेता देश के लिए काम करते है जब अग्रिवीरों को देश हित में पेंशन नही दे सकते है तो उन्हें भी अपनी पेंशन को देशहित में त्याग देना चाहिए, क्योकि देश से बड़ा पेंशन नही है।