समान नागरिक संहिता में पूर्वोत्तर और आदिवासी किसी को भी बाहर नही रखा जाना चाहिए
नोट बंदी के बाद जिस तरह से नियमों में बदलाव किये गये, कुछ उसी तरह ही समान नागरिक संहिता के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद दिखाई दे रहा है। भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी का कहना है कि पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के कुछ हिस्सों में आदिवासी समूहों को समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखने पर विचार किया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता को लेकर कहां था कि एक घर दो कानूनों से कैसे चल सकता है अगर आदिवासियों के साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों को इससे अलग रखा जायेगा तो साफ हो जायेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 सालों के बाद भी नेहरू सरकार की गलतियों को दोहरा रहे है।
एक घर दो कानून से नही चल सकता है आपकी यह बात सही है मोदी जी
समान नागरिक संहिता को लेकर एनडीए के पूर्वोत्तर के साथी व मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने विरोध किया, इसके अलावा आदिवासी समाज के लोगों ने भी आदिवासी संस्कृति को खत्म होने का खतरा बताने के चलते मोदी सरकार भी इस बिल में कुछ बदलाव करने संकेत देने लगी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा ने समान नागरिक संहिता का बिल आगामी लोकसभा चुनाव के मुद्दे हिन्दू मुस्लिम राजनीति को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से लाय जा रहा है, लेकिन एनडीए के सहयोगियों के साथ ही आदिवासियों के द्वारा विरोध करने से विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव में भाजपा को आदिवासी क्षेत्रों में नुक्सान होने की संभावनाओं के मद्देनजर पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही आदिवासी क्षेत्रों को समान नागरिक संहिता से अलग रखने की बात भाजपा नेता सुशील मोदी कर रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता को लेकर तर्क दिया था कि एक घर, दो कानूनों से कैसे चलाया जा सकता है, अगर समान नागरिक संहिता से आदिवासी व पूर्वोत्तर राज्यों को अलग रखा जाता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इतनी कोशिश के बाद भी देश में एक घर को चलने के लिए दो कानून रखेगें, जिसे प्रधानमंत्री के कथनानुसार ही चला पाना मुश्किल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा है कि वह वोट की नही देश के लिए राजनीति करते है ऐसे में उन्हें समान नागरिक संहिता में किसी को भी किसी भी प्रकार की छूट नही देनी चाहिए, एक घर को सही चलाने के लिए एक ही कानून होना चाहिए, अलग अलग कानून की व्यवस्था देश में नेहरू के समय से चली आ रही है जिसके चलते देश विकास के पथ पर मोदी सरकार के हिसाब से सही तरीके से आगे नही बढ़ रहा है इसलिए जो गलती नेहरू सरकार ने किया वह गलती मोदी सरकार में नही दोहराई जानी चाहिए।