बिहार में एनडीए का हिस्सा वीआईपी पार्टी, यूपी में भाजपा के खिलाफ लड़ेगी चुनाव
उत्तरप्रदेश चुनाव में भाजपा नेता यूपी की जनता को यह बताने का साहस करेगें कि बिहार में जिस वीआईपी पार्टी के साथ गठबंधन किया है वह पार्टी उत्तरप्रदेश में एनडीए से अलग होकर क्यो लड़ रही है। क्या बिहार में वीआईपी पार्टी को एनडीए से बाहर करेगी मोदी सरकार? वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश साहनी ने कहा कि निषादों के आरक्षण के लिए भाजपा का आ तक नही बोला। निषाद समाज कभी भी भाजपा को माफ नही करेगा। यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में निषाद समाज के आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है।
लखनऊ रैली में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा निषाद समाज के आरक्षण के मामले पर कुछ भी नही बोलने से जहां विकास पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भाजपा से नाराज है, वही बिहार में एनडीए का हिस्सा वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश साहनी ने भी उत्तरप्रदेश में 165 सीटों पर चुनाव लडऩे की ताल ठोक कर कही ना कही मोदी सरकार की परेशानी बड़ा दी, क्योकि जिस तरह से बंगाल व असम चुनाव में भाजपा नेता कांग्रेस पर निशाना साधती थी कि केरल में कम्यूनिट और कांग्रेस आमने सामने है और यहां पर दोनों मिल कर साथ चुनाव लड़ रहे है, भाजपा की यह रणनीति धरातल में काम भी की। उत्तरप्रदेश में विपक्षी दलो को भाजपा पर निशाना साधने का मौका वीआईपी पार्टी ने दे दिया है क्येाकि बिहार में वीआईपी पार्टी एनडीए का हिस्सा है, लेकिन यूपी में भाजपा के अलग होकर चुनाव लडऩे की बात कह रही है। ऐसे में भाजपा आलाकमान बिहार में वीआईपी पार्टी को एनडीए से बाहर करने करेंगा या सत्ता के लिए समझौता जारी रख कर विपक्ष को एनडीए को कठघरे में खड़ा करने का मौका देती है इस पर भी सभी की नजर है।
चुनाव जीतने के बाद कैसे पूरा करेगी भाजपा
वीआईपी पार्टी के मुकेश साहनी ने कहा कि लखनऊ रैली ने साबित कर दिया कि निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद समाज के लोगों को छल कपट व ठग से वोट ले रहे है लेकिन उनकी आरक्षण की मांग को पूरा नही कर रहे है, निषाद पार्टी उनके परिवार की पार्टी बनकर रह गयी है। उन्होनें भाजपा पर भी हमला करते हुए कहा कि रैली में किसी ने भी आरक्षण के मुद्दे पर कुछ नही बोला। जिस तरह से उत्तरप्रदेश में वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष संजय साहनी भाजपा को निशाना बना रहे है उससे निश्चित ही भाजपा को नुक्सान होगा क्योकि भाजपा को चुनावी वैतारणी पार करने के लिए निषाद समाज का वोट तो चाहिए, लेकिन बदले में आरक्षण का लाभ नही देना चाहती है, जिसकी मांग समाज लम्बे समय से कर रहा है। गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव जीतने के बाद निषाद समाज की मांग पूरी करने का वादा जरूर किया है। सवाल यह है कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव पूर्व वादे तो पूरा नही कर पाती हेै तो सत्ता में बैठने के बाद कैसे वादा पूरा करेगी? गृहमंत्री अमित शाह के चुनाव बाद के दावे पर गठबंधन का हिस्सा निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को भरोसा नही है, जिसके चलते उन्होंने योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा, लेकिन योगी आदित्यनाथ की उनकी मांग पूरी कर पायेगें? क्योकि जो वादा अमित शाह ने नही किया वह वादा कैसे योगी आदित्यनाथ पूरा करेगें? यह भी राजनीतिक गलियारो में बड़ा सवाल बन गया है।
लोकसभा में नुक्सान ना हो इसलिए नही किया अमित शाह ने कोई वादा
गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लखनऊ रैली में निषाद समाज को आरक्षण की मांग पर कुछ नही बोलना राजनीतिक गलियारों में 2024 की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है, क्योकि उत्तरप्रदेश की सत्ता में आने के बाद भाजपा इस मांग को पूरी नही की तो उसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है, जिसके लेकर भाजपा कोई भी रिस्क नही लेना चाहती है। पहले ही 15 लाख के मामले को गृहमंत्री अमित शाह जूमला बता चुके है। मंहगाई और अच्छे दिन भी नही आये है। निषाद समाज को आरक्षण के वादा करने के बाद पूरा नही होने पर आम जनता में यह संदेश जायेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ही अमित शाह में जनता से झूठे वादे करते है।