May 2, 2025

पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने का भावनात्मक मुद्दे के सहारे है भाजपा

उत्तरप्रदेश का एक और विभाजन की तैयारी शुरू, विदर्भ को अलग करने की आवाज को नही मिल रहा मोदी सरकार का सहारा

उत्तरप्रदेश में चुनावी वैतारणी को पार करने के लिए भाजपा संगठन उत्तरप्रदेश को तोड़ कर एक और नया राज्य पूर्वांचल बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है, ऐसा माना जाता है कि जो पूर्वांचल जीतता है उसी की सरकार बनती है। पिछले तीन चुनावों से ऐसा होता आ रहा है, नये राज्य में 125 विधानसभा और 25 लोकसभा सीट हो सकती है जिसमें योगी आदित्यनाथ का गढ़ गोरखपुर भी नए राज्य में जा सकता है।

राजनीति हित को साधने के लिए राज्य को तोडऩे की परंपरा का विस्तार होता दिखाई दे रहा है। महाराष्ट्र से विदर्भ नये राज्य की मांग अभी तक सिर्फ कागजों में ही चल रही है लेकिन उत्तरप्रदेश की राजनीतिघटना क्रम को देखते हुए भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने की घोषणा पूर्वाचल का जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। जिसका ब्लू पिंज भी तैयार हो गया है। इस नये घोषणा से मोदी सरकार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विवाद से भी मुक्ति पा लेगी जो मोदी सरकार के लिए सिरदर्द बने हुए है, क्योकि गोरखपुर नये राज्य का हिस्सा होगा। सवाल यह है कि भाजपा को उत्तरप्रदेश की सत्ता तक पहुंचने के लिए पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने की रणनीति क्यो बनानी पड़ी क्या जमीन में मोदी सरकार व योगी सरकार ने आम जनता के लिए बेहत्तर काम नही किया जिसकी वजह से पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने का भावनात्मक मुद्दे का सहारा लेना पड़ रहा है, जबकि मोदी सरकार के सात सालों में विदर्भ को महाराष्ट्र से अलग करने का एक भी प्रस्ताव नही लाया गया है जबकि विदर्भ के लोग दशकों से अलग राज्य की मांग कर रहे है।

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