चुनाव परिणाम से पूर्व ही उम्मीदवारों को जयपुर शिफ्ट किया गया
मोदी सरकार विधायकों का पाला बदला सकती है तो नक्सलियों का पाला बदलाने में क्या समस्या आ रही है?
मोदी सरकार सत्ता पर काबिज होने के लिए जिस तरह से जोड़तोड़ की राजनीति करके मध्यप्रदेश व कर्नाटक में अपनी सरकार बना ली है, उसी तरह की रणनीति बस्तर में नक्सली समस्या को खत्म करने के लिए भी लगाती तो निश्चित ही सात सालों में बस्तर से इस समस्या का लगभग सफाया हो गया होता, क्योकि मोदी सरकार के रणनीतिकार विधायकों को पाला बदला सकते हेै तो नक्सली नेताओं को अपने पाले में क्यो नही कर सकते है? ऐसा माना जाता है क्रि मोदी व शाह की जोड़ी के पास सभी की जन्म कुंडली मौजूद है, जिसके दाम पर वह किसी को भी अपने पाले में कर सकते है।
मोदी सरकार ने कर्नाटक और मध्यप्रदेश मेंं कांग्रेस विधायकों का पाला बदला कर इन दोनों राज्यों की सत्ता में काबिज होने के बाद इतनी दहशत में है कि असम में अभी चुनाव परिणाम नही आया है और 22 उम्मीदवारों को सुरक्षित रखने जयपुर में रखा है। जो कांग्रेसी नेताओं के भय को दर्शाता है कि बहुमत आने के बाद भी सत्ता के खोने का डर परिणाम आने के पहले से ही बन गया है। इसी तरह का भय मोदी सरकार नक्सलियों के बीच क्यो पैदा नही कर पायी, क्या मोदी सरकार के पास नक्सली नेताओं की जन्म कुंडली नही है जिसकेे सहारे वह नक्सली नेताओ केा भी पाला बदला सकें। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब विधायक जनता को देश हित में धोखा दे सकते है तो नक्सली क्यो नही देश हित में अपने कार्यकर्ताओं को धोखा नही दे सकते है। जिस तरह से मोदी सरकार को लेकर कांग्रेसियों में भय है उसी तरह का भय अगर मोदी सरकार नक्सली नेताओं को अपने पाले में करके पैदा कर दें तो निश्चित ही बस्तर से नक्सली समस्या का समाधान हो जायेगा और कई दशकों से चला आ रहा खून खराब भी खत्म हो जायेगा जिसमें दोनों तरफ से आदिवासी ही पीस रहे है।
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