May 1, 2025

नाराज ब्राम्हणों को भाजपा पाले में लाने की कोशिश पर सवालों के घेरे में

कांग्रेसी नेता जितिन प्रसाद जो स्वयं चुनाव नही जीत सके, क्या भाजपा की चुनावी वैतारणी को पार करा पायेगें

अजय मिश्रा के खिलाफ किसानों ने मोर्चा खोल कर मोदी सरकार की रणनीति की हवा निकाली

उत्तरप्रदेश में नाराज ब्राम्हण को भाजपा के पाले में लाने में असफल भाजपा नेताओं पर मोदी व योगी सरकार ने विश्वास ना करके कांग्रेस से आयातित ब्राम्हण नेता जितिन प्रसाद को मंत्रीमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है। जितिन प्रसाद खुद मानते है कि कुछ समस्याएं है जिनका समाधान निकलना चाहिए, इसके बाद भी उन्होंने दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। मोदी सरकार ने भी उत्तरप्रदेश में ब्राम्हणों को अपने पाले मेें करने के लिए खीरी सांसद अजय मिश्र टैनी को गृह राज्यमंत्री बनाया लेकिन लखीमपुर खीरी की घटना ने मोदी सरकार की रणनीति की हवा निकाल दी, इसलिए एक बार फिर पूरी जिम्मेदारी आयातित जितिन प्रसाद के कंधो पर ही टिक गयी है। लखीमपुर घटना के बाद किसान व विपक्ष सांसद अजय मिश्र को मंत्री पद से हटाने की लड़ाई लड़ रहे है।
यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से योगी सरकार में बा्रम्हणों पर जिस प्रकार से अत्याचार बढ़े इसके बाद विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को हवा दी जिसके चलते आगामी विधानसभा चुनाव को विपक्ष ब्राम्हण बनाम राजपूत करने की हर संभव कोशिश कर रहा है। ब्राम्हण वोटों पर मायावती, अखिलेश व कांग्रेस सभी की नजर है। वही नाराज ब्राम्हणों को भाजपा अपने पाले में लाने के लिए बड़ा दांव खेलते हुए कांग्रेस से आयातित जितिन प्रसाद को सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया, क्योकि कांग्रेस में रहते जितिन प्रसाद ने ब्राम्हणों के कई सम्मेलन किये थे जिसके चलते भाजपा ने यह दांव विधानसभा चुनाव के पूर्व खेला है, क्या यह धरातल में कामयाब होगा इसका फैसला तो विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही पता लगेगा, लेकिन जितिन प्रसाद जब स्वयं चुनाव नही जीत सके तो वह भाजपा की नैय्या कैसे विधानसभा चुनाव में पार करा पायेगें? जितिन प्रसाद योगी सरकार में हुए विकास दुबे एनकाउंटर और लखीमपुर खीरी की घटना का बचाव करते हुए कहा कि यह दोनों मामले कोर्ट में चल रहे है, इस घटना में दूसरे पक्ष के लोग मारे गये थे उसमेें भी ब्राम्हण थे उनका कहना है कि क्षणिक तौर पर लोगों की भावनाएं आहत होती दिखी थीं। लखीमपुर खीरी के सांसद अजय मिश्र टैनी को भी मोदी सरकार ने गृहराज्यमंत्री बना कर नाराज ब्राम्हणों को अपने पाले में करने की कोशिश की थी लेकिन लखीमपुर की घटना ने पूरी तरह से मोदी सरकार की रणनीति पर पानी फेर दिया, इस मुद्दे को सिख बनाम ब्राम्हण बनाने की भाजपा की कोशिश की गयी ताकि नाराज ब्राम्हणों को फिर से भाजपा के पाले में लाया जा सके, लेकिन इसमें भी कामयाबी नही मिल पायी है वही किसान अजय मिश्र को मंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नाराज ब्राम्हण वोटों को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा की बनायी गयी रणनीति धरातल में कामयाब होती नजर नही आ रही है, खीरी की घटना के बाद किसान आंदोलन का नया मोर्चा खूल जाने से मोदी सरकार के साथ ही योगी सरकार की परेशानियां बढ़ गयी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *