कांग्रेस ने शुरूआत की, भाजपाई इसे आगे जरूर बढ़ायेगें
अशांत बस्तर में कांगे्रेस सरकार ने बलिराम कश्यप मेडिकल कॉलेज का नाम बदल कर शहीद महेंद्र कर्मा मेडिकल कॉलेज रखने की एक नयी परंपरा को जन्म दिया है जो निश्चित ही भविष्य में बस्तर की राजनीति पर भी इसका बूरा असर पड़ेगा। नाम बदलने का काम भी जिस गुपचुप तरीके से किया गया वह भी सवालों के घेरे में है। मोदी सरकार ने जिस तरह सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल कर नरेंद्र मोदी स्टेडियम रखने की विविधत घोषणा की गयी थी, लेकिन यहां पर सिर्फ एक आदेश पर बदला गया है।
नक्सलवाद के चलते बस्तर पहले ही अशांत है, इस समस्या का समाधान अभी तक नही निकल पाया हेै, दूसरी तरफ राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने बलिराम कश्यप मेडिकल कॉलेज को नाम बदल कर बस्तर की राजनीति में भूचाल ला दिया है, गौरतलब है कि बस्तर विश्वविद्यालय का नामकरण नही होने के कारण इसका नाम शहीद महेंद्र कर्मा के नाम पर किये जाने पर ज्यादा राजनीति नही हुई थी लेकिन उसके बाद मेडिकल कॉलेज में बलिराम कश्यप का नाम बदल कर शहीद महेंद्र कर्मा के नाम किये जाने से निश्चित ही इस मामले पर आने वाले दिनों में राजनीति होने के साथ ही भविष्य में नाम बदलने की परंपरा को बस्तर में भी बढ़ावा मिलेगा,जैसा देश के अन्य हिस्सों मेंं विकास के नाम पर नाम बदले जा रहे है। आज कांग्रेस शहीद महेंद्र कर्मा के नाम पर मेडिकल कॉलेज रखने पर खुश है कल सत्ता बदलने के बाद होने वाले नाम परिवर्तन पर सवाल उठायेगें तब उनकी भी कोई नही सुनेगा, क्योकि बस्तर में नाम बदलने की नींव कांग्रेस सरकार ने ही रखी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नाम बदलने की शुरूआत बस्तर में कांग्रेस ने कर दी है जिसका खामियाजा निश्चित ही सत्ता बदलने के बाद कांग्रेस को भी उठाना पड़ेगा, क्योकि यह दो धारी तलवार है जिससे कोई भी नही बच सकता है। बलिराम कश्यप बस्तर के एक कद्दावर व दमदार नेता थे, उनके नाम को हटा कर कांग्रेस ने अशांत बस्तर में नाम बदलने की राजनीति की भूमिका तैयार कर दी है।