दिल्ली में शहीद स्मारक बनाने की मांग भी कर रहे किसान नेता
वरूण गांधी ने शहीद किसानों को एक एक करोड़ तो तेलंगाना के सीएम ने 25 लाख की मांग की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि बिल को लेकर विगत एक वर्षो से चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए गुरूपर्व के दिन कृषि बिल वापसी की घोषणा करके इस मुदृदे को खत्म करने का प्रयास किया लेकिन यह मुद्दा खत्म होने का नाम नही ले रहा है बल्कि नये विवाद पैदा होने लगे है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गये 750 किसानों को तीन तीन लाख की मदद देने की घोषणा करने के साथ ही केंद्र सरकार से भी 26 लाख रूपये की मदद देने की मांग की है। वही पीलीभीत के सांसद वरूणा गंाधी ने केंद्र सरकार से एक एक करोड़ की मांग की है। वही किसान आंदोलन के नेता दिल्ली में मृतकों की याद में शहीद स्मारक बनाने की मांग कर रहे है। जो स्पष्ट करता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि बिल वापसी के बाद पैदा होने वाली समस्याओं को ठीक नोटबंदी के बाद पैदा होने वाली समस्याओं की तरह नजरअंदाज किया, जिसकी वजह से नोटबंदी पूरी तरह से फेल साबित हुई , कुछ उसी तरह के हालात कृषि बिल वापसी पर भी बन गये है।
कृषि बिल वापसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनों के निशाने पर भी है, जो साल भर कृषि बिल के लाभ बताने में लगे थे। वही दूसरी तरफ राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि समय अनुकूल नही था इसलिए कृषि बिल की वापसी का फैसला लिया गया है। आगे जरूरत पड़ी तो किसान बिल फिर लाया जाएगा। जो बताता है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्दे नजर मोदी सरकार ने कृषि बिल वापसी ली है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसीलिए कृषि बिल वापसी को किसान नेता गंभीरता से ले रहे है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीवी में घोषणा के बाद भी वापस लौटने को तैयार नही है, जब तक संसद मेंं बिल वापसी के साथ ही किसानों की समस्या से लिए कमेटी ना बन जाये। एमएसपी का कानून की मांग भी कर रहे है। क्योकि सांसद साक्षी महाराज का कहना है कि बिल तो आते-जाते ओर बनते बिगड़ते रहते है। फिर बन जायेगें।
देश पहले नही, कुर्सी पहले
भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने बिल वापसी पर कहा कि किसानों के बीच में उपद्रवी देशद्रोही गतिविधियां कर रहे थे, उनकी मंशा पर पीएम ने पानी फेर दिया है।क्योकि पीएम मोदी के लिए राष्ट्र पहलें है। सवाल यह है कि मोदी सरकार व भाजपा नेता लम्बे समय से किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए आंदोलन में उपद्रवी और देशद्रोही गतिविधियों का आरोप लगाने के साथ ही अनेकों किसानों पर मामले दर्ज किये गये है। लेकिन उस वक्त कृषि बिल वापसी नही हुई लेकिन उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के पूर्व बिल का वापसी होना स्पष्ट संकेत है कि मोदी जी के लिए राष्ट्र पहले नही, सत्ता पहले है, क्योकि उत्तरप्रदेश चुनाव हारने के बाद 2024 के हारने का खतरा भी बढ़ा जायेगा।