May 1, 2025

दुनिया में जो 70 सालों में नही हुआ वह मोदी सरकार में हो रहा है

ओआईसी ने आंतकवादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेस को बैठक में शामिल होने का दिया न्यौता

संयुक्त राष्ट संघ द्वारा पाकिस्तान के प्रस्ताव पर 15 मार्चा को इस्लामोफोबिया दिवस बनाने का फैसला लेने के बाद एक बार फिर पाकिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी की बैठक में अलगाववादी गठबंधन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को न्यौता देकर कही ना कही दुनिया में मोदी सरकार के बढ़ते कद के भाजपाई दावें पर सवाल उठाया है? जिसका वादा भाजपा नेता आम चर्चा में भी ,खूब बढ़ चढ़ कर करते है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्लामोफोबिया दिवस की तरह ही अगर ओआईसी की बैठक में भी अलगाववादी संगठन को भारत के विरोध में भी शामिल हो जाता है तो निश्चित ही मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल और गहराने लगेगा। पाकिस्तान देश में चल रही धु्रवीकरण की राजनीति के सहारे जिस तरह से इस्लामिक देशों को एकजूट करने की कोशिश कर रहा है वह भी मोदी सरकार के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। देश में जरूर हिन्दृ मुस्लिम राजनीति से भाजपा की भारी लाभ मिल रहा है।

इसे भी पढ़े

आंतरिक मामले पर विदेशी सवाल उठा रहे?

असम हिंसा ने भी मोदी सरकार की इमेज को पहुंचाया नुक्सान

दुनिया में मोदी सरकार के बढ़ते कद की एक बार फिर परीक्षा

मोदी सरकार आने के बाद भाजपा नेताओं के द्वारा सुनियोजित तरीके ये आम जनता को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि दुनिया में भारत का कद बढ़ रहा है, लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्लामोफोबिया दिवस बनाने के प्रस्ताव को भारत के विरोध के बाद भी पास कराने में सफल हो जाने से देश के अंदर ही मोदी सरकार की दुनिया में बढ़ती ताकत पर सवाल गहराने लगा कि जब मोदी सरकार ने दुनिया में भारत का कद बढ़ रहा है तो फिर पाकिस्तान के इस्लामोफोबिया दिवस मनाने का प्रस्ताव कैसे संयुक्त राष्ट्र संघ में पास हो गया? गौरतलब है कि चीन ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जबकि सोशल मीडिया में चीनी मुस्लिमों के शोषण की खबरें आती रहती है।

एक हफ्ते के अंदर दूसरा मामला

पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत को घेरने के लिए इस्लामाबाद में आयोजित इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी की बैठक में भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेस को न्योता देकर कही ना कही मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि ओआईसी महत्वपूर्ण विकास कार्यो की बजाय किसी एक सदस्य के राजनीतिक एजेंडा पर ध्यान दे रहा है। हमने बार बार ओआईसी से आव्हान किया है कि वे अपने मंच का इस्तेमाल भारत के अंातरिक मामले पर टिप्पणी करने देने से बचे। विदेश मंत्रायल के प्रवक्ता श्री बागची ने सीधे पाकिस्तान का नाम मोदी सरकार के नेताओं के तरह नही लिया, जो बात बात पर पाकिस्तान भेंजने की बात करते रहते है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भारत सरकार की आपत्ति के बाद क्या ओआईसी की बैठक में हुर्रियत कॉन्फ्रेस को दिया गया न्यौता रद्द किया जायेगा, या यथावत रहेगा? यह अहम सवाल है, क्योकि पूर्व में भी ओआईसी कई बार भारत में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों पर चिंता जाहिर करने के साथ ही केंद्र सरकार से उसकों रोकने की मांग कर चुका है। ओआईसी जिस तरह से भारत के खिलाफ काम करने वालों को बैठकों में न्यौता दे रहा है वह निश्चित ही भारत सरकार के लिए चिंता की बात है। मोदी सरकार इस नयी समस्या से किस तरह से निपटती है? क्योकि देश में हिन्दू मुस्लिम राजनीति भाजपा के पक्ष में नजर आ रही है लेकिन दुनिया में इस राजनीति के चलते कही ना कही देश की छवि खराब तो नही हो रही है, क्योकि जो काम 70 सालों में दुनिया में नही हो रहा था वह काम मोदी सरकार में होता दिखाई दे रहा है, जिसका जीता जागता उदाहरण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्लामोफोबिया दिवस का प्रस्ताव पास होना, और अब ओआईसी के द्वारा भारत विरोध तत्वों को बैठक में न्यौता देना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *