विपक्ष की आवाज को दबाने में क्या मोदी सरकार ने सर्वाधिक उपयोग
आजादी के 75 साल में मोदी सरकार के तरह किसी और सरकार द्वारा राजद्रोह कानून का गलत इस्तमाल नही किया गया था इसलिए यह कानून कभी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक नही पहुंचा, लेकिन मोदी सरकार के बाद जिस तेजी से राजद्रोह कानून का हवाला देकर लोगों की आवाजों को दबाने का प्रयास किया उसके चलते इस कानून पर सवाल गहराने लगा और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सीजेआई रमन्ना की पीठ ने कहा कि अंग्रेजो ने इस कानून का इस्तेमाल महात्मा गाँधी, बाल गंगाधर तिलक और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को चुप कराने के लिए किया था। वर्तमान में इसके तहत दोषी ठहराए जाने की दर कम है, इसके बाद भी सरकार को इस कानून की जरूरत क्यो है। सरकार कई पुराने कानूनों को हटा चुकी है, लेकिन इस पर गौर क्यो नही किया।
स्वतंत्रता के 75 सालों के बाद देश की सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून का मामला पहुंचाना इस बात का प्रमाण है कि मोदी सरकार आने के बाद राजद्रोह कानून का भरपुर उपयोग सरकारों ने विरोधियोंं को दबाने के लिए किया, जैसा की अंग्रेजों के द्वारा किया जाता रहा है, जिसकी वजह से इस कानून पर सवाल गहराने लगे, और इस कानून को खत्म करने की मांग जोर पकडऩे लगा हेै जिसका परिणाम यह है कि सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की समीक्षा हो रही है।