जिन कश्मीर पंडित ने 1990 में कश्मीर नही छोड़ा वह मोदी सरकार की कश्मीर नीतियों के चलते आज पलायन को मजबूर हो रहे है
धारा 370 से आंतकवाद खत्म हो जाने का दावा करने वाले नेता कहां लापता हो गये है
हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली मोदी सरकार में कश्मीर से कश्मीर पडितों का पलायन होना साबित करता है कि मोदी सरकार हिन्दुत्व के नाम पर सत्ता पर जरूर काबिज हो गयी है लेकिन हिन्दुओं को सुरक्षित रख पाने में पूरी तरह से असफल ही साबित हुई है। कश्मीर से विगत तीन दिनों में लगभग साढ़े तीन हजार के करीब प्रवासी नागरिकों का निकलना स्पष्ट करता है कि मोदी सरकार की कश्मीर नीति धरातल पर पूरी तरह से असफल साबित हुई है। धारा 370 को हटाने से कश्मीर में आंतकवाद को खत्म करने का वादा करने वाले मोदी सरकार के मंत्री इन दिनों मौन साधे हुए है। वह देश के जनता के साथ ही कश्मीर से पलायन करने वालें लोगों को यह समझाने के लिए क्यों सामने नही आ रहे है कि धारा 370 हटाये जाने के दो साल के लम्बे अंतराल के बाद क्यों ऐसी स्थिति बनी कि अल्पसंख्यकों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया। ज्ञात हो कि आंतकवाद की कमर तोडऩे के लिए मोदी सरकार ने पूर्व में नोटबंदी भी कर चुकी थी।
किसान आंदोलन के चलते सरकार कर रही भेदभाव
कश्मीर पंडितों का 1990 के बाद मोदी सरकार में सबसे बड़ा पलायन हो रहा है, कश्मीरी पंडितों के दवाब के मद्देनजर सरकार ने कश्मीर पंडितों को 10 दिनों की छूट्टी दी है, लेकिन प्रिंसिपल सुतिन्द्र कौर की हत्या के बाद भी सिख समुदाय को अवकाश नही दिये जाने से सिख समुदाय में नाराजगी है। राजनीतिक जानकारों का मानना कि सरकार किसान आंदोलन के चलते कश्मीर के सिखों के साथ ऐसा भेदभाव कर रही है, क्योकि किसान आंदोलन की लड़ाई में सिख समुदाय ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है। जिससे मोदी सरकार की किरकिरी देश ही नही विदेशों मेंं भी इस आंदोलन के कारण हो रही है।
सरकार कब मानेगी इसे पलायन
कश्मीर से लोगों को बाहर जाने को सरकार पलायन नही मान रही है जबकि प्रशासन द्वारा दरबार मूव के सचिवालय के कुछ मूव कार्यालयों के साथ कश्मीर जाने वाले जम्मू के कर्मचारियों को जल्द से जल्द जम्मू लौटने को कहा जाना स्पष्ट करता है कि कश्मीर के हालात कितने खराब है। गौरतलब है कि विपक्ष मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर हमेशा सवाल उठाता रहा है जिसे मोदी सरकार पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही थी, कश्मीर के वर्तमान हालात बता रहे है कि कश्मीर पर मोदी सरकार के द्वारा उठाये गये सभी कदम असफल ही साबित हुए, जिसके चलते लोगों में नाराजगी ही बढ़ी। जिसकी वजह से तीन दशकों के बाद फिर से कश्मीर में पलायन की स्थिति पैदा हो गयी है, जिन कश्मीरी पंडितों ने 1990 में पलायन नही किया वह आज पलायन करने को मजबूर होना बताता है कि हालात 1990 से भी ज्यादा खराब मोदी सरकार में हो गये है।
कश्मीर अल्पसंख्यकोंं के लिए नरक बन गया
कश्मीर को दुनिया का स्वर्ग कहा जाता है लेकिन अल्पसंख्यकों के लिए यह नरक में तब्दिल हो गया है। मोदी सरकार ने जरूर कश्मीर पंडितों के नाम पर सत्ता प्राप्त की है लेकिन उनकी नीतियों के चलते कश्मीर पंडितों की वापसी कराने की जगह बचे कुचे कश्मीर पंडितो का भी पलायन हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार सात दिनों के अंदर चार हिन्दुओं और सिखों की हत्या के बाद अल्पसंख्यक कश्मीर छोड़ कर जाने लगे है, जिसकी तादाद 10 हजार बतायी जा रही है जिसके आने वाले दिनों में और बढऩे की संभावना है। वही दूसरी तरफ अल्पसंख्यकों को कश्मीर खाली करने में नया संगठन गिलानी फोर्स भी मैदान में उतरने की बात कही जा रही है।