विकास के नाम पर कटनी और राजा की मंडी में मंदिर हटाने का हिन्दू संगठन कर रहे विरोध
मंदिर की राजनीति करके भाजपा सत्ता तक तो पहुंच गयी है, लेकिन वही मंदिर अब भाजपा के विकास के सबसे बड़े रोड़े बनते जा रहे है, मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दल नही भाजपा के कट्टर समर्थकों ने ही मोर्चा खोला है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विकास के नाम पर रेल मंत्रालय के द्वारा मंदिरों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान आने वाले दिनों में भाजपा को ही मुश्किल में डाल सकता है। मंदिर का मुद्दा भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की थी कही उतारने में भी मंदिर की भूमिका अहम ना बन जाये, क्योकि विपक्ष ने भाजपा के सहयोगी हिन्दू संगठनों के द्वारा ही मोदी सरकार के विकास का विरोध किया जा रहा है।
मोदी सरकार के अंतर्गत आने वाले रेल विभाग ने मध्यप्रदेश के कटनी स्टेशन में विकास के नाम पर मंदिर को हटाने का नोटिस जारी किया, लेकिन विवाद बढऩे पर बीच का रास्ता निकालते हुए मंदिर के सामने दिवाल बना कर सौन्दर्यीकरण किया गया, हिन्दू संगठनों ने रेल प्रशासन के द्वारा बनायी गयी दिवाल को तोडऩे के साथ ही उसे हटाने का फरमान भी जारी किया, उसी तरह ही यूपी के आगरा स्थित राजा की मंडी स्टेशन में ट्रेनों की र$फतार बढ़ाने के लिए प्लेटफार्म नंबर एक में बने मंदिर हो हटाने का नोटिस आगरा डीआरएम द्वारा जारी करने का भी विरोध हो रहा है। डीआरएम मंदिर को हटाने को लेकर सक्त दिखाई दे रहे है लेकिन सवाल यह है कि जिस मंदिर के मुद्दे पर भाजपा राजनीति करती है क्या वह मंदिर को हटाने का समर्थक करके अपने कोर वोटरों को नाराज करेगी? यह ऐसा सवाल है जो आम जनता के बीच भी अपनी जगह बनाने लगा है, क्योकि मोदी सरकार के विकास की रफ्तार को विपक्ष नही मोदी समर्थक ही रोकने में लगे है। इस दोनों ही मामले पर मंदिर की राजनीति करने वाली भाजपा नेता मौन साधे हुए है जबकि राजस्थान के अलवर में भाजपा नगरपालिका के हरी झंडी दिखाने के बाद तोड़े गये मंदिर पर जमकर राजनीति कर रही है। सवाल यह है कि भाजपा मंदिर तोड़े जाने के पहले भी इस मामले पर राजनीति कर सकती थी क्योकि भाजपा शासित नगरपालिका ने ही मंदिर हटाने का नोटिस जारी किया था, उस वक्त मंदिर मुद्दे पर राजनीति करने से भाजपा को उतना लाभ नही मिलता जितना तोडऩे के बाद मिलता दिखाई दे रहा था। अगले वर्ष राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले है, राजस्थान में भाजपा के अंदर मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर लड़ाई चल रही है, ऐसे में सत्ता वापसी के भाजपा को मुख्यमंत्री चेहरे से ज्यादा मंदिर के मुद्दे पर भरोसा है।