देश में गोड़से विदेश में महात्मा गांधी को याद आते है प्रधानमंत्री को
भाजपा का दोहरा चरित्र प्रधानमंत्री के हर विदेश प्रवास में सामने आ रहा है, इसके बाद भी नही खूल रही देशवासियों की आंख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इटली में धर्म गुरू पोप फ्रांसिस से मिलना राजनीतिक गलियारों में इसलिए चर्चा का विषय बना गया कि भारत में भाजपाई धर्मांतरण के खिलाफ आवाज बुलंद करने के साथ ही धर्मांतरण के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिम्मेदार बता कर अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास कर रहे है वही दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इटली जाने पर पोप से मुलाकात कर रहे है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप से छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य आदिवासी बाहुल क्षेत्र में हो रहे धर्मातरण रोकने की बात तो की नही होगी, इसलिए इस मुलाकात से कही ना कह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दोहरा चरित्र ही सार्वजनिक होता है कि देश में हिन्दू वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए हिन्दुत्व की राजनीति करके समाज का धु्रवीकरण कर रहे है, कभी मुसलमान के नाम पर तो कभी धर्मांतरण के नाम पर, लेकिन विदेशों में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बनायी धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाये रखने के लिए पोप से मिलने के साथ ही महात्मा गांधी को याद करना भी नही भूलते है। इटली प्रवास में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी की प्रतिमा में जाकर श्रद्धांजलि भी दी, वही अमेरिका प्रवास के दौरान राष्ट्रपति बाइडेन से चर्चा के दौरान भी महात्मा गंाधी का उल्लेख करना नही भूले, लेकिन देश में मोदी सरकार में महात्मा गंाधी के हत्यारे गोड़से को जो सम्मान दिया जा रहा है वह हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि जब मोदी सरकार में देश में महात्मा गांधी से ज्यादा गोड़से के विचारों को महत्व दिया जा रहा है तो फिर विदेश प्रवास में महात्मा गांधी की जगह गोड़से की योगदान का उल्लेख करने क्यो बचा जा रहा है, क्योकि इंटरनेट के युग में कुछ भी किसी से छिपा हुआ नही है।
धर्मांतरण मुद्दे की हवा निकाली
छत्तीसगढ़ में इन दिनों भाजपा के नेता धर्मांतरण के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा करने के साथ ही धर्मांतरण के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिम्मेदार बताते हुए कहा रहे कि बघेल सरकार धर्मांतरण उन्ही के इशारे पर कर रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इटली प्रवास पर इसाई धर्मगुरू पोप से किसके इशारे पर मिले यह बताने से परहेज कर रहे है। सवाल यह है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के दौरान सर्वाधिक चर्चा बनाने का आरोप मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगा चुके है जिसकों भाजपाई नकारा नही सके है इसके बाद भी धर्मांतरण के मुद्दे को हवा देने की कोशिश करके आदिवासी बाहुल बस्तर और सरगुजा में अपनी पकड़ को बनाने का प्रयास कर रहे है। राजनीति पंडितों का कहना है कि भाजपा एक तरफ छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का आरोप सोनिया गांधी पर लगा रही है लेकिन दूसरी तरफ इटली में प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी पोप से मिलना स्पष्ट करता है कि भाजपा सत्ता में पहुंचने के लिए देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं का धर्म के नाम पर बहकाने का ही काम कर रही है ताकि सत्ता तक पहुंच सके या उसमें बने रहे।
पोप के भारत आने से धर्मांतरण को नयी ऊर्जा मिल सकती है
विटिकन सिटी में कैथोलिक ईसाईयों के सबसे बड़े धर्मगुरू पोप फ्रांसिस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात करनेके साथ ही उन्हें भारत आने का न्योता दिया, जिसे पोप ने सहर्ष स्वीकार किया। मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोप से मुलाकात का समय 20 मिनट था लेकिन एक घंटा के आसपास बातचीत हुई। राजनीतिक पंडित इस बात को जानने की इक्छूक है कि क्या इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश की सबसे बड़ी समस्या धर्मांतरण को लेकर कोई बातचीत की या नही। क्योकि छत्तीसगढ़ में इन दिनों धर्मांतरण के मुदृदे पर भाजपाई नेता बेहद गंभीर नजर आ रहे है वही मोदी सरकार के नेता भी धर्मांतरण को लेकर बेहद सक्रिय है। जानकारों का कहना है कि पोप के भारत आगमन से कही ना कही धर्मांतरण को भी नयी ऊर्जा मिल सकती है। इटली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पोप के बीच हुई मुलाकात पर भाजपा नेताओं ने मौन साधा हुआ हेै जो धर्मांतरण के लिए इटली को निशाना बनाते रहे है।