मोदी सरकार पर सवाल उठाने वाले सांसद वरूण गांधी व सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी डीपी में नही लगाया तिरंगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमृत महोत्सव के माध्यम से तिरंगा की राजनीति करके विपक्ष को घेरने के फिराक में थे्रे, लेकिन समय गुजरने के साथ ही मामला पूरी तरह से उल्ला पलड़ा दिखाई दे रहा है, क्योकि प्रधानमंत्री की अपील के बाद कांग्रेसियों अन्य विपक्षी दलों ने तिरंगा लगा लिया है लेकिन आरएसएस ने नेताओं ने अपनी डीपी में तिरंगा नही लगाया, इसके अलावा भाजपा सांसद वरूण गांधी व सुब्रमण्यम स्वामी ने भी अपनी डीपी में अभी तक तिरंगा नही लगाकर कही ना कही मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है, उसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने भी अपनी डीपी में तिरंगा नही लगाकर उसका विस्तार ही किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के डीपी में नही लगाया तिरंगा
आजादी के अमृत महोत्सव का राजनीतिक लाभ उठाने के उद्देश्य से हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया गया, क्योकि मोदी सरकार को इस बात का पूर्ण आभाष था विपक्ष इसकों लेकर सवाल उठायेगा, और हुआ भी लेकिन कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने अपने अपने हिसाब से तिरंगा जरूर लगाकर इस विवाद को विस्तार नही देने का प्रयास किया, लेकिन आरएसएस के नेताओं ने अपने डीपी में तिरंगा नही लगाया। मोदी सरकार पर आये दिनों किसी ना किसी मुद्दे पर निशाना साधने वाले भाजपा सांसद वरूण गांधी ने भी अपनी डीपी में तिरंगा नही लगाया है, इसके अलावा भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर अपनी डीपी में तिरंगा नही लगा कर कही ना कही मोदी सरकार की इस रणनीति पर पानी फेरने का काम ही किया है, क्योकि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर विपक्ष दलों के नेता अपनी डीपी में तिरंगा लगा सकता है तो फिर भाजपा नेताओं व आरएसएस के नेताओं को अपनी डीपी में बदलने में क्या समस्या आ रही है? बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने भी अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर अपनी डीपी में तिरंगा नही लगा कर क्या कोई राजनीतिक संदेश देने का प्रयास कर रहे है? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार जिस तिरंगें के माध्यम से विपक्ष को घेरने का प्रयास कर रही थी, अव वह स्वयं ही घिरती दिखाई दे रही है, क्योकि इस मिशन में भाजपा को अपने ही लोगों का साथ नही मिलने से मोदी सरकार ही कठघरे में खड़े नजर आ रही है। जो बताता है कि मोदी सरकार ने आरएसएस को विश्वास में लिये बगैर ही हर घर तिरंगा व सोशल मीडिया में डीपी में तिरंगा लगाने का मिशन शुरू किया था कि इस भावनात्मक मुद्दे के सहारे एक बार फिर विपक्ष की खटिया खड़ी कर देगें? लेकिन आरएसएस जो 52 सालों तक तिरंगा नही फहराया क्या इस मिशन में उसका साथ देगी इसका मंथन ही किया, क्या डीपी में तिरंगा लगाने की तरह ही क्या हर घर तिरंगा अभियान भी आरएसएस नेताओं के चलते फेल तो नही हो जायेगा क्योकि जो आरएसएस वालों ने जब अपनी डीपी में तिरंगा नही लगाया तो अपने घरों में कैसे तिरंगा लगायेगें यह सवाल आम जनता के बीच चर्चा का विषय बनता जा रहा है।