मणिपुर में भाजपा सिर्फ 5 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देकर कर रही है महिला सशक्तिकरण
यूपी में भाजपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही है, लेकिन पूर्व के मणिपुर में भाजपा में भाजपा ने बगैर गठबंधन के चुनाव लड़ने का फैसला करके राजनीतिक पंडितों की हवा निकाल दी है। राष्ट्रवादी पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के साथ मणिपुर का कोई भी स्थानीय दल गठबंधन को भी तैयार नहीं हुआ! भाजपा ने मणिपुर की सभी 60 सीटों में प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जिसमें सिर्फ तीन महिला प्रत्याशी होने से भाजपा के महिला सशक्तिकरण अभियान की भी पोल खुल जाती है कि यह महिला सशक्तिकरण अभियान सिर्फ महिलाओं का वोट पाने के लिए ही चलाया गया है।
मणिपुर में भाजपा द्वारा उम्मीदवारों की सूची जारी करने के बाद भाजपा के अंदर बगावत शुरू हो गई है। पार्टी की प्राथमिक सदस्य छोड़ने वालों में पूर्व मंत्री मिताई चंद्र लुआन सहित एक दर्जन से ज्यादा राज्य स्तर के नेता शामिल है। नाराज कार्यकर्ताओं ने कई जगहों पर पार्टी बैनर और झंडे को आग के हवाले किया। जिसकों देखते हुए घोषित प्रत्याशियों और उनके कार्यालयों की सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किया गया है। सिर्फ तीन महिलाओं को टिकट देने से भी पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष है। भाजपा एक तरफ महिला अधिकारों की बात करती है लेकिन पार्टी में ही जब महिलाओं का शोषण हो रहा है तो आम महिलाओं को कैसे अधिकार मिलेगा?
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सत्ता वापसी की राह हुई मुश्किल
अकेले लड़ने को मजबूर भाजपा
मणिपुर में भाजपा के सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी और नागा पीपुल्स फ्रंट हिन्दुत्व राजनीति के चलते भाजपा गठबंधन से अलग हो गये, भाजपा नेता अन्य स्थानीय पार्टियों से गठबंधन करके चुनाव लड़ने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं होने पर अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया। मणिपुर जैसे राज्य में भाजपा का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला स्पष्ट करता है कि आगामी चुनाव में भाजपा की डगर कितनी मुश्किल है। क्योंकि यहां पर सीधा मुकाबला कांग्रेस गठबंधन से है, भाजपा को सत्ता तक पहुंचने के लिए चुनाव बाद कांग्रेस गठबंधन में सेंधमारी ही एक मात्र रास्ता दिखाई दे रहा है , इसके सिवाय और कोई रास्ता नही है। तीन महिलाओं को टिकट देने के बाद हुई बगावत ने भाजपा को सत्ता से और दूर कर दिया है।