May 1, 2025

अंतत: महंत को जीते जी इस्तीफा देना पड़ा

महंत ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग को फुव्वारा बताया था

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में मिले शिवलिंग को फुव्वारा बताने वाले महंत गणेश शंकर उपाध्याय को अंतत: अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह उनके छोटे भाई डॉ दिनेश अम्बाशंकर उपाध्याय को मंहत की जिम्मेदारी सौपी दी है। ऐसा पहली बार हुआ है कि मंहत के जीवित रहते दूसरे महंत को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। नेताओं की तरह ही महंत भी मीडिया वालों को अपने बयान को तोड़ मरोड़ का दिखाने का आरोप लगा रहे है।

महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने भी शिवलिंग को बताया फुव्वारा

मंहत के राजनेताओं की तरह कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ के पेश किया गया है

ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के बाद मिले शिवलिंग को लेकर राजनीतिक पारा पूरी तरह गर्माया हुआ था, हिन्दू संगठन शिवलिंग की पूजा करने की मांग कर रहे थे, ऐस तनावपूर्ण वातावरण मेें काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित श्री काशी करतव मंदिर के महंत गणेश शंकर उपाध्याय का यह बयान की वह 50 सालों से देख रहे है कि वह फुव्वारा है, जिसे मुस्लिम पक्ष भी फुव्वारा ही बता रहे थे। ूमहंत के बयान से कही ना कही मुस्लिम पक्ष को मजबूती मिली, जो निश्चित ही हिन्दू संगठनों के साथ ही हिन्दुत्व की राजनीति करने वालों को बिलकुल भी पंसद नही आयी होगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उनके इस बयान के बाद दबाव की राजनीति शुरू हुई होगी, जिसके चलते उन्हें जीते जी महंत पद को छोडऩे पर मजबूर होना पड़ा। गणेश शंकर उपाध्याय ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी महंत पदको जीवत रहते दूसरे महंत को दिया जायेगा, क्योकि अभी तक महंत की मृत्यु के बाद ही महंत पद स्थानांरित होता रहा है। यह घटना स्पष्ट संकेत दे रही है कि वर्तमान राजनीति में धारा के विपरीत तैरना लगातार कठिन होता जा रहा है, क्योकि दबाव इतना बढ़ता जा रहा है कि कुछ ही समय के बाद दम घुटने का खतरा पैदा हो जाता है। महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने राजनीतिक नेताओं की तरह अपने बयान का सही बताते हुए कहा कि उनके बयान को मीडिया ने काट छांट कर दिखाया है जबकि उनके कहने का मतलब कुछ दूसरा ही था। महंत गणेश शंकर उपाध्याय का इस्तीफा उनके बयान के कुछ ही दिनों बाद दिया जाना निश्चित ही राजनीतिक चर्चा का विषय बनेगा, क्योकि देश में इन दिनों मस्जिदो के सर्वे की आवाज लगातार उठ रही है, और यह आवाजें समय के साथ कमजोर होने की जगह मजबूत होती जा रही है।

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