भाजपा, पिता की जगह बेटे को टिकट देकर परिवारवाद की राजनीति को आगे बढ़ाया
विपक्षी दलों पर निशाना साधने के लिए भाजपा परिवारवाद का आरोप लगाती है, लेकिन हरियाणा की आदमपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए विधायक कुलदीप विश्रोई के बेटे भव्य विश्रोई को टिकट देकर इस विधानसभा में परिवारवाद की र राजनीति को भाजपा आगे बढ़ा रही है सवाल यह है क्या यह परिवारवाद नही है?
भाजपा नेता विपक्ष पर निशाना साधने के लिए एक ही परिवार के लोगों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाती रही है लेकिन दूसरी तरफ स्वयं भी परिवारवाद का बढ़ावा देने में लगी हुई है। हरियाणा के आदमपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते कुलदीप विश्रोई भाजपा में शामिल होने से यह सीट खाली हो गई। उपचुनाव में भाजपा ने कुलदीप बिश्रोई को टिकट ना देकर उनके बेटे भव्य विश्रोई को टिकट देकर आदमकद सीट पर विश्रोई परिवार की राजनीति को स्थापित करने की कोशिश कर रही है, जबकि भव्य बिश्रोई ने कभी भी भाजपा का झंडा तक नही उठाया होगा, लेकिन पिता के पाला बदलने के चलते उन्हें यह टिकट मिली है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कुलदीप विश्रोई ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के पूर्व यह शर्त भी रखी होगी कि उनके बेटे भव्य को पार्टी उनचुनाव में टिकट देनी होगी। राज्य में सत्तारूढ़ दल के लिए उपचुनाव में जीतने की संभावनाएं बहुत ज्यादा होने के चलते कुलदीप विश्रोई भाजपा में शामिल होकर अपने बेटे को भी विधायक बना कर उनका भी राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करके अपने पिता होने का फर्ज अदा किया। यह परिवारवाद का जीता जागता उदाहरण है, लेकिन भाजपा को अपनी पार्टी का परिवारवाद नही दिखाई देगा?