8 जून के आंकड़े में उजागर हुआ यह सच
कोरोना की मौत, सिर्फ कोविड वार्ड या कोविड नियमों से अंतिम संस्कार को ही मान रही थी सरकार
कई राज्यों पर कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा छूपाने का आरोप लगता रहा है, कि सरकार के द्वारा जारी मौत के आंकड़े व श्मशान में जलाई की शवों की संख्या में बहुत अंतर है। बिहार सरकार ने मौत के आंकड़ो में संशोधन करके स्पष्ट कर दिया कि कोरोना से मौत के अंाकड़ो को छुपाने का खेल खेला जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने 8 जून बुधवार को अचानक 5,458 के आंकड़े को बदलकर 9,429 कर दिया। जो एक दिन में देश में ही दुनिया में सबसे ज्यादा मौत का आंकड़ा है। सरकार मान रही है कि मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है।
बिहार सरकार ने बुधवार जारी आंकड़े में कोरोना से मरने वालों की संख्या 6148 बताकर स्पष्ट कर दिया कि कोरोना से मौत के जो आंकडा सरकार पेश कर रही थी वह सही नही थे। गौरतलब है कि बिहार सरकार पर ही नही देश के अन्य राज्य सरकारों पर भी मौत के आंकड़े छुपाने का आरोप है लेकिन नीतिश कुमार ने सच स्वीकार करने का साहस दिखाया, क्या अन्य राज्य सरकारें भी सच स्वीकार करने का साहस दिखायेगी? मिली जानकारी के अनुसार मौतों के आंकड़े में उन्हें ही शामिल किया जाता था जिनकी मौत कोविड वॉर्ड में हुई या कोविड़ प्रोटोकॉल के तहत जिनका अंतिम संस्कार हुआ है। आंकड़े के बदलाव के संबंध में स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बुधवार को जारी किये गये आंकड़े में होम आईसोलेशन, कोविड केयर सेंटर, प्राइवेट अस्पताल, और अस्पताल पहुुंचने के दौरान होने वाली मौतों को भी शामिल किया गया है। जब शहरी क्षेत्रों में कोरोना के आंकड़े के साथ छेड़छाड़ हो रहा है तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। जानकारी के अनुसार पटना के कई अस्पतालों का पूरा डैटा उपलब्ध नही करवाया है, सरकार ने ऐसे कई अस्पतालों को नोटिस भी जारी कर तीन दिनों में आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा है। बिहार में मौत के आंकड़े के संशोधन के बाद उत्तरप्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश सरकार पर भी मौत के आंकड़े के संशोधन करने का दवाब बढ़ेगा क्योकि उत्तरप्रदेश मेें तो नदियों में शवों को बहाने के साथ ही नदी किनारे शवों को दफनाने का मामला भी सामने आया है, तो कही शवों को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को लम्बी लाईन लगानी पड़ी थी।