May 2, 2025

किसान आंदोलन का मिजाज जाने बगैर क्या प्रधानमंत्री ने कृषि बिल वापस ले लिया?

किसान आंदोलन में मारे गये किसानों का आंकड़ा सरकार के पास नही होना यही संकेत दे रहा है
राहुल गांधी ने संसद में मृत किसानों की सूची दिखाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि बिल वापसी की घोषणा से पहले किसान आंदेालन से क्या यह इनपुट नही मिला था कि किसान आंदोलन में मारे गये किसानों को मुआवाज देने की मांग कृषि बिल वापसी के साथ ही उठने लगेगें। इसके बाद भी सरकार ने किसानों की मौत को मामले पर किसी भी प्रकार की जमीनी तैयार नही की, जिसके चलते संसद में कृषि मंत्री तोमर को यह कहने पर मजबूर होना पड़ा कि किसान आंदोलन में मारे गये किसानों का कोई भी आंकडा सरकार के पास नही है तो मुआवजा का सवाल ही नही उठता। किसान आंदोलन अब कृषि बिल से हट कर किसान आंदोलन के दौरान हुई मौत पर सिमटा गया है। राहुल गांधी ने आज लोकसभा में शहीद किसानों की लिस्ट दिखा कर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की।
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि बिल वापस लेकर किसान आंदोलन को खत्म करने की रणनीति पूरी तरह से असफल साबित हुई है। किसान एमएसपी के साथ ही किसान आंदोलन के दौरान मारे गये 7 सौ से अधिक किसानों की मुआवजा की मांग पर अड़े थे, उसी दौरान कृषि मंत्री तोमर ने संसद में बताया कि सरकार के पास किसान आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों का कोई भी आंकडा नही होने के कारण मुआवजा का कोई सवाल ही नही उठता है, जिसके बाद से राजनीति पारा एक बार फिर से गर्माने लगा। क्योकि किसान लम्बे समय से किसान आंदोलन में शहीद किसानो की दिल्ली में स्मारक बनाने की मांग भी कर रहे है। आज लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों का मुद्दा उठाते हुए मुआवजा के साथ ही नौकरी देने की मांग की।
राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा कि पंजाब सरकार ने लगभग चार सौ किसानों को 5 लाख का मुआवजा दिया है, उनमें से 152 को रोजगार भी प्रदान किया है। मेेरे पास सूची है, हमने हरियाणा के 70 किसानों की एक और सूची बनायी है, आपकी सरकार कहती है कि आपके पास उनके नाम नही हंैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में करीब 7 सौ किसान मारे गए, पीएम ने देश और देश के किसानों से माफी मांगी, और उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने गलती की। और कृषि मंत्री से एक प्रश्र पूछा गया आंदोलन में कितने किसान मारे गये? उन्होंने कहा कि उनके पास कोई डेटा नही हैं।
किसान यूनियनों ने भी दवा किया है कि विरोध के दौरान सात सौ किसानों की जान गई है, वही किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कृषि बिल वापसी को शहीद किसानों को समर्पित किया था।

सरकार से किसान नेताओं की कोई बातचीत नही हुई

सरकार से बातचीत के लिए किसान संगठन के द्वारा पांच सदस्यीय दल का गठन करने के बाद भी सरकार के द्वारा किसी भी तरह का बुलावा नही आने की बात किसान नेता चढूनी ने कही। उन्होनें कहा केंद्र सरकार और ना ही राज्य सरकार की तरफ से हमें बुलावा आया है अभी तक कोई बातचीत नही हुई है। हमारा आंदोलन पूर्व की तरह ही चलता रहेगा। गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व किसान नेताओं ने बताया था कि गृहमंत्री अमित शाह का फोन आया था और सरकार से बातचीत करने के एक समीति बनाने को कहा था। जिससे यह उम्मीद जागी थी कि किसान आंदोलन को सरकार गंभीरता से लेते हुए अन्य मुदृदो पर चर्चा करना चाहती है लेकिन पांच सदस्यीय दल का गठन के बाद भी सरकार की तरह से बातचीत का प्रस्ताव नही आने से आंदोलन के खत्म होने की अटकलों पर पूरी तरह से विराम लगता दिखाई दे रहा है।

 

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