कांजी हाउस में आठ गायों की मौत और 15 की हालत गंभीर

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गाय का सहारा लेकर धु्रवीकरण की राजनीति तो करते है लेकिन उनकी ही राज्य के कांजी हाऊस व गौशालाएं में गाय सुरक्षित क्यों नही है? कुछ समय पूर्व ही यह खबर आयी थी कि यूपी की गायों को मध्यप्रदेश की जंगलों में जिंदा दफना दिया गया था। चुनावी घोषणा के बाद लखनऊ कानपुर हाईवे पर गदनखेड़ा में संचालित कांजी हाउस में देखभाल के अभाव में आठ मवेशियों ने दम तोड़ दिया। जबकि 15 मवेशी मरणासन्न अवस्था में मिले। दो दिनों की बारिश में काजी हाउस की स्थिति और भी खराब हो गयी। कांजी हाउस के गेट पर गोबर के ढेर लगे है वही चरही पूरी तरह से खाली होना यही साबित करता है कि योगी सरकार गाय को सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रही है। जमीनी स्तर पर उनके खाने व रहने का इंतजाम तक नही कर पायी है।
एसडीएम भी अंदर नही घूसने की हिम्मत जूटा पाये
हनुमंत जीव आश्रम के संचालक अखिलेश अवस्थी ने कांजी हाउस की हालत को देखकर इसकी जानकारी एसडीएम को दी। आनन- फानन में एडीएम नरेंद्र सिंह और एसडीएम सत्यप्रिय सिंह टीम के साथ मौके पर पहुंचे। नगर पालिका की टीम जहां सफाई का काम में जूट गयी वही पशु चिकित्सको की टीम मरणासन्न मवेशियों के इलाज में लग गये। कांजी हाउस की हालत को देखकर अधिकारी भी अंदर जाने की हिम्मत नही जुटा पाये, जो इस बात का प्रणाम है कि गाय किस तरह यहां अपना जीवन गुजरा रही थी।
गदनखेड़ा के कांजी हाउस में ही मवेशियों की हालत खराब नही है, कांशीराम कालोनी की स्थित कान्हा गोशाला की भी हालात बहुत खराब है। केयरटेकर का कहना है कि मवेशियों की संख्या अधिक होने के कारण वे आपस में लड़ कर घायल होने के साथ ही गोशाला की नियमित सफाई भी नही होती है।