हबीबगंज रखने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा
मध्यप्रदेश सरकार ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन जाने का मामला हाईकोर्ट पहुंचना साबित करता है कि सरकार ने बगैर जनता से किसी भी तरह का सलाह मशवरा किये कृषि बिल की तर्ज पर ही इस स्टेशन का नाम बदल दिया। इसके बाद सवाल गहराने लगा है कि क्या एक बार फिर कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम बदलेगा? याचिका में कहा गया है कि भोपाल के रानी कमलापित रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर फिर से हबीबगंज रखा जाना चाहिए। गौरतलब है कि वर्ष 1973 में मुस्लिम गुरू हबीब मियां ने अपनी निजी जमीन स्टेशन के लिए दान दे दी थी, इसलिए इस स्टेशन का नाम हबीबगंज रेलवे स्टेशन रखा गया था, याचिका में कहा गया है कि जिस महान आदमी ने अपनी जमीन सार्वजनिक काम क लिए दान में दी हो ऐसे लोगों का नाम नहीं हटाया जाना चाहिए, इसलिए कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर फिर से हबीबगंज रेलवे स्टेशन होना चाहिए। जबकि सरकार का कहना है कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम कमलापति रेलवे स्टेशन रखने के लिए पीछे कुछ एतिहासिक कारण है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस स्टेशन के उद्घाटन के कुछ समय पहले ही सरकार ने इस स्टेशन का नाम बदलने का निर्णय लिया था। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि हाईकोर्ट में इस मामले पर क्या निर्णय आता हेै इस पर सभी की नजर हेै, क्योकि जिसने रेलवे को अपनी निजी जमीन दे उसके नाम पर रखे गये स्टेशन का नाम बदलना कही ना कही भाजपा के हिन्दुत्व एजेंड़ा को दर्शाता है।