ढ़ाई ढ़ाई साल वाले फार्मूला ने दोनों पक्षों की नीद उठा रखी है
कांग्रेस का आलाकमान क्या छत्तीसगढ़ में ढ़ाई ढ़ाई साल के फार्मूले के आधार पर नेतृत्व परिवर्तन पर मोहर लगायेगा? यह ऐसा सवाल है जो कांग्रेस के अंदर खाने में चर्चा का विषय बनाने के साथ ही आम जनता की भी नजर कांग्रेसी नेताओ की गतिविधियों पर है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का यह बयान की पार्टी के अंदर की बात बाहर आ आने के बाद आलाकमान इस मामले पर जल्द ही फैसला लेगा। साबित करता है कि ढ़ाई ढ़ाई साल मुख्यमंत्री के पद को लेकर निश्चित ही कांग्रेस के अंदर चर्चा हुई है, जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ की शांत राजनीति में अचानक उथल पुथल मचाने के बाद भी राहुल गांधी द्वारा अभी तक ढ़ाई ढ़ाई साल वाले फार्मूले पर किसी भी तरह का कोई भी बयान नही दिया है।
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राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इतने गंभीर मामले पर राहुल गंाधी के अतिरिक्त किसी और नेता का बयान राजनीति में और भूचाल ला सकता है इसलिए कांग्रेस के अन्य नेता इस फार्मूले से इंकार कर रहे है, लेकिन जिस तरह से यह फार्मूला राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बना हुआ है वह साबित करता है कि बगैर आग के धूआ नही उठता है,जो समय के साथ भीषण आग में तब्दिल हो चुका है। इस तपिश का एहसास आम जनता को भी होने लगा है कि कुछ ना कुछ फार्मूला के तहत ही राज्य की कमान भूपेश बघेल को सौंपी गयी थी, अन्यथा स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव इस तरह के बयान नही देतें, इसलिए आलाकमान की जिम्मेदारी बनती है कि वह कांग्रेसी नेताओं से किये गये वादें को निभाये। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि आलाकमान की चुप्पी साबित करता है कि छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं बनी हुई है, स्वास्थ्य मंत्री टीएम सिंहदेव का दिल्ली प्रवास जारी होना इसी बात के संकेत दे रहा है कि आलाकमान अपने वादें को निभाने के लिए हर संभव कोशिश में लगा हुआ है, जिसमें समय जरूर लग सकता है लेकिन नेतृत्व परिवर्तन से इंकार नही किया जा सकता है। जिस तरह से वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन किया है वह भी यही संकेत दे रहा है कि खतरे का एहसास हो चुका है। विगत एक महीने से चल रहा राजनीति ड्रामा का अंत कब होगा? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब कांग्रेस आलाकमान को ही देना है, क्योकि मामले के लंबा खींचने से कांग्रेस का ग्राफ ऊपर जाने की जगह नीचे ही जा रहा है।
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