नक्सली मामले पर भाजपा व कांग्रेस सरकार के बीच तालमेल बन पायेेगा?
डबल इंजन सरकार के दौरान भी बस्तर में कई बड़ी नक्सली घटनाएं हुई थी
गृहमंत्री अमित शाह बस्तर प्रवास के दौरान कहा कि नक्सलियों से चली आ रही लड़ाई निर्णायक मोड़ पर आ गयी है, हम इसे अंजाम तक पहुंचायेगें। उन्होंने कहा कि कैंप खुलने के बाद से नक्सली बौखला गये है यह भुठभेड़ इसका प्रमाण है। पूर्व में भी हुई नक्सली घटनाओं के दौरान नेता इसी तरह की बयानबंाजी करते नजर आ चुके है, क्या इस बार कुछ बदलेगा, यह तो आने वाले समय में भी पता चलेगा, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नक्सलियों का खुफियां तंत्र पुलिस के खुफिया तंत्र से बहुत मजबूत है? क्या केंद्रिय गृहमंत्री नक्सलियों के इस खुफिया तंत्र में सेंधमारी करने में कामयाब हो पायेगें?
बस्तर में हर नक्सली घटना के बाद नेताओं के जिस तरह से बयान आते है उसी तरह की बयानबांजी एक बार फिर बस्तर की जनता को केंद्रिय गृहमंत्री अमित शाह से भी सुनने व देखने को मिली है। जब छत्तीसगढ़ व केंद्र में मोदी की सरकार होने के बाद भी नक्सली घटनाओं को सफलता पूर्वक अंजाम देने में कामयाब होते रहे है, अब तो राज्य में कांग्रेस व केंद्र में भाजपा की सरकार है दोनों सरकारों के बीच तालमेल बैठेगा यह ऐसा सवाल है जो आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है? क्योकि केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी उस वक्त भाजपा नेता तालमेल नही करने का आरोप लगाते रहे है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए जरूर उनके साथ भोजन किया लेकिन इससे क्या दोनों सरकारों में तालमेल बैठ पायेगा? क्योकि इस घटना के बाद आरोप प्रत्यारोप की राजनीति भी शुरू हो गयी है। नक्सलवाद चुनाव के वक्त जरूर बढ़ा मुद्दा होता है लेकिन चुनाव खत्म होते ही यह मुद्दा ठंडे बस्तें में डाल दिया जाता है जब कोई बड़ी वारदात होती है तो नक्सलियों से आरपार की लड़ाई के वादे किये जाते है ओैर समय गुजर के साथ इन वादों में धूल जमा हो जाती है। इस बार क्या बदलेगा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि खुफिया तंत्र के मामले पर नक्सली सरकारी खुफिया तंत्र पर भारी पडऩे के कारण ही इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने में सफल रहे है।
गुरिल्ला वॉर, खुफिया तंत्र की मजबूती के बगैर नही जीता जा सकता है