May 1, 2025

आलाकमान क्या हरीश रावत के सामने भी झूका?

नवजोद सिंह सिद्धू ने भी कांग्रेस आलाकमान के अपने हिसाब से झूका चुके है, जिसके चलते ही कैंप्टन अमरिंदर सिंह को पीएम पद छोडऩा पड़ा

पंजाब कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नवजोद सिंह सिद्धू ने पार्टी आलाकमान को धमकी खुल्ली धमकी देकर उन्हें झूकने पर मजबूर किया, जिसके चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी से हटाने को आलाकमान को मजबूर होना पड़ा। जिसके बाद से पंजाब कांग्रेस के अंदर खींतचान जारी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से अलग होकर नयी पार्टी का गठन करने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिल कर कांग्रेस को हराने के लिए कमर कस चुके है। उस वक्त पंजाब प्रभारी हरीश रावत ही थे, इसलिए उन्हें भी इस बात का एहसास है कि किस तरह से कांग्रेस के आलाकमान को झुकाया जा सकता है। नवजोद सिंह सिद्धू के ही पदचिन्हों पर चलते हुए हरीश रावत ने उत्तराखंड चुनाव के पूर्व ट्वीटर में लिखा कि जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ पांव बांध रहे हैं, मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया है, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है। उन्होंने लिखा कि है न अजीब से बात चुनाव रूपी समुद्र में तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करने खड़ा हो रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट के बाद कांग्रेस में भूचाल आ गया और आलाकमान इस विवाद का पटाक्षेप करने के लिए की कोशिश में जूट गया, अगले ही दिन रावत की राहुल गांधी से मुलाकात होने के बाद उनके सुर बदल गए, उन्होंने पूर्व ट्वीट का बचाव करते हुए कहा कि सन्यास लेने की बात कही थी, पार्टी छोडऩे की नही।
चुनावी मोैसम में घटे इस घटनाक्रम को पटाक्षेप करते हुए कांग्रेस ने हरीश रावत को उत्तराखंड चुनाव अभियान का अध्यक्ष बना कर उनकी नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया है। जिसके बाद रावत ने कहा कि कदम कदम बढ़ाए जा, कांग्रेस के गीत गाए जा… मैं उत्तराखंड में चुनाव अभियान का चेहरा रहूंगा, वही उत्तराखंड के प्रदेशाध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि जहां तक सीएम के चेहरे का सवाल है इस पर अंतिम फैसला आलाकमान ही करेगा। पार्टी के आलानेताओं में जरूर तालमेल बैठ गया है लेकिन आम कार्यकर्ताओं में तालमेल नही बैठ पाने के कारण देहरादून कांग्रेस के दो गुटों में बीच झड़प भी हुई। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व घटे इस राजनीतिक घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस पार्टी में गुटबांजी की क्या हालत है। राहुल गांधी के प्रयासों से जरूर तत्कालीनतौर पर नेता एकजूट हो गये है लेकिन पार्टी ने पीएम का चेहरा किसी को घोषित नही किया जाना स्पष्ट करता है कि अभी पिक्चर बाकी है। जिसका फायदा निश्चित ही चुनावी वर्ष में तीन बार मुख्यमंत्री बदलने वाली भाजपा को मिलेगा, क्योकि भाजपा कांग्रेस की इस गुटबंाजी का चुनावी फायदा उठाने की हर संभव कोशिश करेगी।

 

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