बिजली दरों की वृद्धि को मुद्दा बनाया लेकिन किराया वृद्धि को नही
भाजपा के मंथन शिविर मेंं भी मोदी सरकार की नीतियों का प्रभाव साफ दिखाई दे रहा है। प्रदेश प्रभारी डी पुरेंदेश्वरी ने राज्य सरकार के द्वारा बढ़ाये गये 25 प्रतिशत बस किराये के वृद्धि पर कुछ भी नही बोलना यही संकेत दे रहा है कि बस किराये के मुद्दे पर अगर भाजपा कांग्रेस सरकार को घेरने का प्रयास करेगी तो मामला उल्टा भी पड़ सकता है क्योकि केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार में पेट्रोल व डीजल दोनों ने ही शतक मार लिया है वही रसोई गैस के दामों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। जिसके चलते प्रदेश प्रभारी डी पुरेंदेश्वरी ने बिजली बिल में की गये बढोत्तरी को तो मुद्दा बनाने का प्रयास किया लेकिन राज्य सरकार के द्वारा एक साथ 25 प्रतिशत किराये के वृद्धि मामले पर मौन ही साधना उचित समझा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार ने महंगाई के मुद्दे के राष्ट्रहित से जोड़ कर राज्य सरकारों को भी हालत दी है, इसलिए जिन राज्यों में भाजपा विपक्ष की भूमिका में है वहां पर सत्तारूढ़ सरकार को महंगाई जैसे मुद्दे पर घेरने में पूरी तरह से असफल ही नजर आ रही है।
बेरोजगारी का मुद्दा भी मोदी सरकार ने किया खत्म
मोदी सरकार ने पकौड़ा बेचने को रोजगार से जोड़ कर राज्य सरकार को भी बेरोजगारी को खत्म करने का शानदार मौका दिया है, जिसके चलते बेरोजगारी का मुद्दा भी अब राजनीतिक गलियारों में महंगाई के तरह ही पूरी तरह से खत्म हो गया है। डी पुरेंदेश्वरी ने जरूर कांग्रेस के घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए बेरोजागारी भत्ता दिये जाने की याद तो दिलायी लेकिन मोदी सरकार के द्वारा प्रतिवर्ष एक करोड़ लोगों को रोजगार देने के वादें को भूला देना साबित करता है कि बेरोजगारी का मुद्दे का वजूद भी अब खत्म हो गया है।