मोहम्मद शमी को कट्टरपंथियों ने बनाया निशाना
राजनीति में धर्म का जिस तरह से विकास हो रहा है उसी तरह खेलों में भी धर्म का विकास कुछ लोग चाहते है। टी 20 विश्वकप में पाकिस्तान की भारत पर एतिहासिक विजय के बाद हिन्दुत्व कट्टरपंथी ने भारतीय टीम से खेल रहे एक मात्र मुसलमान खिलाड़ी मोहम्मद शमी को निशाने पर लेते हुए पैसे लेकर मैच हारने का आरोप लगाया। जो स्पष्ट करता है कि धु्रवीकरण की राजनीति का मोदी सरकार में कितना विकास हुआ है कि उसकी गूंज अब खेलों में भी सुनाई देने लगी है। जबकि पाकिस्तान के बल्लेबांज जिस तरह से बल्लेबांजी कर रहे थे उसे देखकर स्पष्ट था कि भारत मैच हार रहा है, विकेट नही गिरने के कारण मैच पर उनकी पकड़ शुरूआत से ही बनी रही, लेकिन 18 वें ओवर में मोहम्मद शमी के पांच गेंदो में 17 रन पाकिस्तान बल्लेबांजो के द्वारा बनाये जाने पर वह हिन्दुत्व कट्टरपंथी के निशाने पर आ गये कि उन्होंने ही मैच रहा दिया है, अन्यथा भारत यह मैच जीत सकता था।
क्रिकेट प्रशंसकों ने इस्लामोफोबिया प्रभावित हिन्दुत्व कट्टरपंथियों की आलोचना करने के साथ ही भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली और टीम के अन्य सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से एकजूट होकर मोहम्मद शमी का समर्थन करने का आग्रह किया। भारतीय टीम के किसी भी गेंदबांज ने पाकिस्तान का का कोई भी विकेट चटकाने में सफल नही हो सका लेकिन अपने कोटे के चौथा ओवर और मैच के 18 वें ओवर में जमें पाकिस्तान बल्लेबाज बाबर आजम और रिजवान के द्वारा 17 रन लिया जाना हिन्दुत्व कट्रपंथियों को रास नही आया, और इस हार का ठीकरा मोहम्मद शमी पर फोड़ का खेलों में भी राजनीति की तरह जातिवाद का प्रचार करने की कोशिश की।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नेता सत्ता पर अपनी पकड़ बनाने रखने के लिए धु्रवीकरण की राजनीति का जो नंगा नाच कर रहे है उसका नुक्सान देश को हो रहा है, लेकिन राष्ट्रवाद चश्मा के चलते लोगों को नजर नही आ रहा है। इस पर लगाम लगाने के लिए जिस तरह से मोहम्मद शमी के मामले पर क्रिकेट टीम की टीम सामने आयी है उसी तरह ही अन्य मामले पर भी लोगो को सामने आकर विरोध करने की जरूरत है।