नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल हो सकती थी सरला मुर्मू
बंगाल चुनाव के पूर्व नेताओं के पार्टी बदलने का सिलसिला जारी है, भाजपा की परिवर्तन के लक्ष्य को सफल बनाने के लिए जिन विधायकों को टिकट नही मिल रही है वह भाजपा में शामिल हो रहे है, लेकिन तृणमूल की हबीबपुर प्रत्याशी सरला मुर्मू ने भी इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होना राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बन गया हैै। टिकट मिलने के बाद पार्टी छोडऩे के कारणों का खूलासा नही हो सका है। इस घटना पर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा में शामिल प्रत्याशी सरला मुर्मू अगर नामांकन फार्म जमा करके नाम वापसी के दिन अपना नाम वापिस लेकर भाजपा में शामिल होती तो भाजपा केा ज्यादा लाभ पहुंचा सकती थी। छत्तीसगढ़ के अंतागढ़ उपचुनाव में मंतुराम पवार जिसे कांग्रेस का टिकट दिया गया था नाम वापसी के दिन अपना नाम वापस लेकर भाजपा की जीत बगैर लड़े ही सुनिश्चित कर दी थी। बंगाल में इस तरह के हालात तो नही बनते, लेकिन भाजपा को जरूर चुनाव में लाभ मिलता क्योकि तुणमूल कांगे्रेस का प्रत्याशी ही इस सीट में नही रहता, क्योकि बंगाल चुनाव में एक एक सीट महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भाजपा के रणनीतिकारों को आने वाले समय में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो भी प्रत्याशी दूसरे दल का टिकट मिलने के बाद भाजपा में शामिल होना चाहते है वह नामांकन वापस लेने के बाद भाजपा में शामिल हो ताकि जिस परिवर्तन के लिए वह भाजपा में शामिल हो रहा है वह पूरा हो सके। तुणमूल कांग्रेस ने हबीबपुर से प्रदीप बास्के को नया उम्मीदवार बना कर चुनाव मैदान में फिर से जगह बना रही है।