भाजपा छोडऩे वाले किसी भी बड़े नेता ने कांग्रेस का दामन नही थमा
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मथुरा विधानसभा में कांग्रेस का चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि सियासी महाभारत में सत्य की जीत होगी। यूपी में कांग्रेस लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच गयी है, ऐसे हालातों में कांग्रेस यूपी में किसी तरह चुनाव जीत कर सरकार बनायेगी? यह बहुत से कांग्रेसियों को ही समझ में नही आ रहा है तो आम जनता को कैसे समझ में आयेगा? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी की तुलना में असम में कांग्रेस सरकार बनने की काफी संभावनाएं थी, लेकिन इसके बाद भी सीएए विरोधियों को एक जूट करके कांग्रेस की सरकार बनाने में सफल नही हो सके, तो यूपी में कैसे सरकार बना पायेगें, जहां चुनाव भाजपा और सपा की बीच धीरे धीरे सिमटता दिखाई दे रहा है। बसपा और कांग्रेस सिर्फ एक दर्शक के रूप में तब्दिल हो रहे है।
यूपी चुनाव पर पूरे देश की नजर है, छत्तीसगढ़ की जनता की यूपी चुनाव में अतिरिक्त रूचि का कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कांग्रेस का प्रभारी बनाया जाना है। मुख्यमंत्री श्री बघेल लगातार उत्तरप्रदेश में चुनाव प्रचार करके कांग्रेस को जीतने का दावा कर रहे है इसी कड़ी में मथुरा में चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि इस सियासी महाभारत में सत्य की जीत होगी, और यूपी में कांग्रेस सरकार बनाने का दावा भी किया, जबकि जमीनी हालत यह है कि रामपुर में चमरौआ विधानसभा सीट से कांग्रेस ने युसूफ अली को प्रत्याशी बनाया। उन्होंने कांग्रेस की टिकट छोड़ कर सपा में शामिल होना बताता है कि कांग्रेस की हालत कितनी खराब है, इसके अलावा भी कई कांग्रेसी नेताओं ने भी पार्टी छोड़ी। प्रियंका गांधी ने जरूर यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन वर्तमान राजनीति में उनकी कोशिश कितना सफल होती है यह सबसे बड़ा सवाल है? क्योकि यूपी चुनाव में धीरे धीरे बंगाल की तर्ज पर दो पार्टियों के बीच सिमटता जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी में योगी सरकार को हराना या योगी सरकार को जीताने वालों केबीच ही मुकाबला है। इसलिए भाजपा छोडऩे वाले शतप्रतिशत नेता सपा के अतिरिक्त किसी दूसरी पार्टी में नही गये, क्योकि उन्हें इस बात का विश्वास है कि भाजपा को यूपी में सिर्फ सपा ही टक्कर दे सकती है। ऐसे में कांग्रेस की सरकार बनने का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दावें पर बहुत से कांग्रेसियों को भी भरोसा नही है, तो आम जनता कैसे विश्वास कर पायेगी?
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